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७४ (विशेषण-विशेष्य-कृदन्त) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
मुख जोईने विनम्रपणे बे हाथ कलरवाली पुस्तकनी अन्दर जोडीने प्रभुने पांचेय अंग क्रीम कलरना पेपर उपर सुन्दर नमावीने वन्दन करे छे
अक्षरथी लखीने रंगीन पेनथी| | प्रकाश दौडती ट्रैनमां बेसीने खुब ज सारी डिजाइन करीने
सुन्दर प्लेट फार्म पर उतरीने बधा लोकोने आकर्षित करे | मोटी धर्मशालामां जवा माटे | सुन्दर रिक्सामां बो सीने | २९. | छ'री पालित संघने | धर्मशाला आवीने जल्दीथी कढाववानी उत्तम भावना ऊंचो पर्वत चढीने आदीश्वर राखीने पू. महान् आचार्य दादानुं चमकतुं मुख९ जोईने भगवन्त पासे सुश्रेष्ठ (शुभ) खुब ज आनन्द पामे छे मुहूर्त कढावीने देश विदेश कामिनी काली कारमां बेसीने सुन्दर पत्रिका मोकले छे अने सुन्दर महल जोवा माटे आवीने ममतालु माता, प्रेमालु पिता उत्सुक भावथी सुन्दर महल | | स्वजनो वगेरेने संघमां आववा जोई ने महल बनावनार माटे भावभर्यु आमन्त्रण आपे माणसनी खुब ज तारीफ | करीने पाछा वलतां सुन्दर| ३०. प्रात:काल ऊठीने नमस्कार
गार्डनने जोईने त्यांना रंगीन महामन्त्रनुं स्मारम करीने | फुवारा खीलता फूल आदिने आकर्षक एवा फोटाना दर्शन | जोईने मनने प्रफुल्लित करे छे करीने उत्तम एवी पूजानी साहेब काली सीट वाली| सामग्री तैयार करीने जिन सायकल पर बेसीने लाल मन्दिर जाय छे, "निस्सिही' थेली अने ब्राउन रुमाल लईने "नमो जिणाणं'' करीने धर्मशाला आवीने काला बोर्ड हृदयना भाव भर्या उमलका पर रंगीन चोक पीसथी साथे त्रिलोकी नाथना दर्शन लखीने अमने खुब ज सारी करीने भाववाही स्तुति करी छे| | रीते समजावीने घणुं लेशन ३१. नाना मासुम बालकने पाँच आपे छे
वर्षनी उम्मर थतां उमंग- भरेली कञ्चन सफे द पेन लईने माता नर्सरीमा टाई, युनिफार्म काली रीफल नाखीने बिना पहेरावीने ग्रीन साडी पहेरीने
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