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चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (वर्तमान-कृदन्त) | ७७|| १८. | पुरुषार्थ करतो ते सफलता | मेळवे छे
३५. गर्जना करता सिंहथी जंगलना १९. ते पुरुषार्थ करतां सफलता पशुओ डरे छे मेळवे छे
३६. | घोर जंगलमां ध्यान करता २०. गरीब माणस याचतां मुनिने राजा नमस्कार करे छे
( मांगतां) शरमाय छे । ३७. | अवाज करतां बालकोने
जमता भाईने बेन पीरसे छे | अध्यापक डांटे छे | तीर्थंकरने जोतो इन्द्रभूति ३८. | रमता श्यामने माँ बोलावे छे विस्मय पामे छे.
धन लई जता चोरने राजा | प्रतिक्रमण करतो श्रावक उंघे | | दण्डे छे
४०. | संसारनो त्याग करतां बालको रूममा प्रवेश करतां साहेब आनन्द अनुभवे छे 'मत्थएण वन्दामि' बोले छे | ४१. | चालती गाडी बन्ध पडे छे | चालतो बळद गभराय छे । ४२. | आवता साहेबने जोईने अमे उतरतो देव अवलोकन करे छे जल्दी आवीए छीए रडता बालकने माता लाडवो ४३. | सासुने जोतां जमाई हरखे छ | आपे छे
४४. | लखती हुं थाकती नथी । | दोडता उंदरने बिलाडी पकडे ४५. | रमतो बालक पडे छे
४६. | स्कूले जती सोनल रडे छे २९. भागता चोरने सिपाही पकडे ४७. | संसारमा विरक्त रहेलो मुमुक्षु
संयमने झंखे छे | राजाने अन्याय करतो जोईने ४८. | शासननी प्रभावना करतां ..... प्रजा हाहाकार मचावे छे । । आचार्य भगवन्त व्याख्यान ३१. नाचती राधाने राजा ईनाम आपे छे आपे छे
४९. | बेनने विदाई आपतो भाई ३२. उडता पक्षीने पाराधी बाण मारे उदास छे
५०. | चण्डकौशिकने प्रतिबोध ३३. झगडता रतिलालने लोको करता वीर बुझ-बुझ कहे छे धूतकारे छे
| दीपकनी झळहळती ज्योत ३४. खेलती गुडियां देखावडी लागे| चमके छे