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चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (कारण कार्य) | ८३| कारण कार्य
जल्दी मेलवीश
| जमना ! जो तुं पान पराग जो पुण्यनो उदय जागशे तो
| खाईश तो केन्सरनो रोग थशे चन्दनानो अभिग्रह पूर्ण थशे | १४.
| वज्रकुमार ! जो तुं बहु रडीश २. | जो स्वयंवरमां ते धनुष
| तो साधुने वहोरावी दईश | उपाडशे तो प्रभञ्जनाने वरशे | १५. मनीष ! जो तं आयंबिल ३. जो वीणानो तार तुटशे तो
करीश तो रसनेन्द्रियने जितीश मन्दोदरी, नृत्य अटकशे १६. | ललीता ! जो तुं श्रीपालनी ४. | जो पद्मा ! तुं सात कोडीमां
| दीक्षामां जईश तो (तने ) | राज्य मेलवीश तो तने हुँ
| प्रभावना मलशे बोलावीश
| १७. | जीनल ! जो तुं पू....सूरि | करुणा ! ‘जो तुं छ8 करीने|
म.सा.ना व्याख्यानमां जईश | यात्रा करीश तो त्रीजे भवे
तो (तुं) तत्त्वनुं ज्ञान प्रायः मोक्षे जईश
| मेलवीश ६. चक्रवर्ती ! जो तुं राज्य १८. | प्रदीप जो तुं कन्दमूल खाईश छोडीश तो स्वर्गे जईश
तो नरकमां जईश मुनिवर ! जो तमे शुद्ध १९. पू. श्री....म. सा. ! जो तमे | | भावनाथी काजो काढशो तो
| नव्वाणु करशो तो लाडवानी | मुक्तिमां जशो
बाधा छुटशे ८. | मदारी जो तुं वांसली वगाडीश २०..| मोहन ! जो तुं करुण गीत | तो साप बहार आवशे ।
| गाईश तो पब्लिक रडशे | राधा ! जा तु शुभ भावनाथा| २१. | गायत्री जो तुं महेनत करीश | नवकार मन्त्रनुं स्मरण करीश तो टी. वी. ने छोडीश
तो विनोथी पार उतरीश २२. बदामी ! जो मयूरी तारा | राणी ! जो तारी पीडा राजा
लाम्बा बाल जोशे तो नजर जोशो तो मुच्छित थशे ।
पडशे | सुरज ! जो तुं डॉ. बनीश तो २३. निशा जो तुं कॉलेज जईश तो | पापना काम करवा पडशे ।
| मासी म. सा. वढशे १२. | श्रेणिक ! जो तुं पुरुषार्थ २४. | अनीता ! जो तुं संसारथी करीश तो रत्न त्रयी-चारित्र
| विरक्त रहीश तो संयम लईश