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चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(धिग्) ८७ १०६. जो पुत्र मलशे तो माता खुश ३. धोखेबाज शियालने धिक्कार
थशे
थाओ
१०७. जो प्रभुनो जन्म थशे तो इन्द्रनुं ४. | परमाधार्मिकना कार्यने धिक्कार
| सिंहासन चलायमान थशे । थाओ १०८. वीर धवल ! जो तुं युद्ध | कसाईना का( म )र्यने धिक्कार
करीश तो अवश्य तारी जीत | थाओ थशे
| मारी उपयोग शुन्यताने धिक्कार |१०९. जो विनय हशे तो विद्या थाओ आवशे
कोणिकना दुष्ट भावने धिक्कार ११०. मीना ! जो तुं अन्य धर्म| थाओ
पालीश तो (तने ) मिथ्या- ८. परमात्मानी आज्ञा न माननारने त्वनी प्राप्ति थशे
धिक्कार थाओ १११. सोना ! जो तुं रत्नत्रयीनी| ९. | राजुनी जीदने धिक्कार थाओ
आराधना करीश तो तने शुद्ध १०. | मधुपान करनारने धिक्कार समकितनी प्राप्ति थशे.
थाओ |११२. हरीश ! जो तुं धमाल करीश | ११. | खारा पाणीने धिक्कार थाओ
तो (तने) मार पडशे | १२. | प्रजाने दुःखी करनार राजाने |११३. राकेश ! जो तुं होटल जईश | धिक्कार थाओ
तो (तारी) आदत बगडशे १३. | प्रभुनी निन्दा करनारने धिक्कार ११४. नर्तकी ! जो तुं नृत्य करीश तो | -थाओ
(तने हुँ) राजा पासे इनाम | १४. दुष्कालने धिक्कार थाओ अपावीश
१५. | स्थुलिभद्रमा रहेला अहंकारने |११५. गीता ! जो तुं निन्दा करीश तो | धिक्कार थाओ
नरकनी भागीदारिणी बनीश १६. | शेठना क्रोधने धिक्कार थाओ धिग
१७. कृतघ्नने धिक्कार थाओ
१८. ब्राह्मणना लोभने धिक्कार । १. लो को ना अन्ध विश्वासने
थाओ धिक्कार थावो
| मारी अनुकूलताने धिक्कार २.. |मारी भूलो अने कुटेवोने
थाओ धिक्कार थावो
२०. | चोरना कार्यने धिक्कार थाओ
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