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त्वा
चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
(त्वा) | ४७/ |८ ४. दुर्योधन राज्य मेलववा माटे
पाण्डवोनी साथे युद्ध करे छे| ९९. | रींकु कपडा धोवा माटे ८५. मुमुक्षु संयम लेवा माटे अने साबुन लावे छे | संसारथी छुटवा माटे इच्छे छे| १००, राजा राणीने मनाववा माटे गरीब माणस बालकनुं पोषण | जाय छे
करवा माटे चिंता करे छे । ८७. डाकु गामनो नाश करवा
| १. | राजा राणी बगीचानी सुन्दरता माटे लाकडी लावे छे
| जोईने किल्लोल करे छे रहिम श्यामने भूलवा माटे
| बगीचाने जोईने राजा आवे छे कोशिश करे छे रोगी रोगनो नाश करवा माटे
| रीना फुल तोडीने माथामां
| नाखे छे | दवा ले छे | रेश्मा प्रतिष्ठामां जवा माटे
| बगीचाना झुलामां बेसीने हुं श्रृंगार करेछे
खुश थाq छु करिम रुई लेवा माटे घरे जाय
५. | माली फुलने तोडीने वेंचवा
(माटे) जाय छे
| लोको बगीचाने जोईने आनं| मोना दवाई लेवा माटे दुध ५. पीवे छे
दित थाय छे
| वज्रस्वामी श्री देवी पासेथी दुःखीने शान्त करवा माटे
पुष्प लईने श्रावकोने आपे छे मनोरमा प्रयत्न करे छे
८. | मसूरना विशाल उद्यानने ९४. | लोको जीववा माटे पाणी
| जोईने लोको प्रशंसा करे छे पीवे छे. टीचर भूल सुधारवा माटे पेन ९. | फुलनी कोमलता जोर्डने
| कवि कविता लखे छे मांगे छ
१०. | बगीचामां पक्षीओनो किल| रानी लेशन तपासवा माटे
| किलाट सांभलीने राजा हसे टीचरने बूक आपे छे - मोन्टु लखवा माटे कागज ,
| ११. | पतंगीया पुष्प उपर बेसीने रस लावे छे
| पीवे छे १८. रंगारो रंगवा माटे पीछी लावे|