________________
||१०२ (गौण नाम षष्ठी) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह १२४. देवोनुं रूप कामदेव जेवू होय | १४७. प्रभुजी- मुखडं अद्भूत छ ।
|१४८. सुविधिनाथ, बीजूं नाम पुष्प १२५. देवो शरीर वैक्रिय पुद्गलोर्नु दन्त छे
|१४९. पार्श्वनाथनुं लञ्छन सर्प छे १२६. आ देवनुं नाम शुं छे ? १५०. प्रभुनुं सिंहासन सोनानुं छे १२७. रामनुं राज्य सारूं हतुं | १५१. वन्दना स्कूलनुं लेशन करे छे| १२८. अर्जुन- वचन ...... पाळे छ | १५२, विनीता पिता- कहेवू मानती १२९. वीरनुं शासन छे
नथी
.. .' १३०. काँचनुं देरासर छे १५३. राम लङ्कानुं राज्य जिते छे १३१. आम्रनुं वृक्ष छे
१५४, शकुन्तलानुं मन दुष्यन्तमां छे १३२. माता वात्सल्य विशाल होय १५५. जरासंघ बाण कृष्णने वागे
१३३. कॉलेजनुं शिक्षण सारुं होवू १५६, अञ्जनानुं सतीत्व जोईने देवो जोईए
नमे छे १३४. कॉलेजनुं लेशन पूरुं कर्यु हतुं १५७. सुलसार्नु, समकित जोईने १३५. कॉलेज, मान पत्र मल्युं छे । . अम्बड हारी जाय छे १३६. कॉलेजनुं वातावरण खराब छ | १५८. साधनानुं जीवन सरल छे १३७. कॉलेज, फन्कसन जोरदार न १५९. सिद्ध चक्रनुं माण्डलुं छे ...
१६०. एकलव्य- बाण छ । १३८. ऊषा कॉलेजनुं ध्यान राखे छे | १६१, मैसूर गार्डन- नाम प्रख्यात छे १३९. भरत कॉलेजनुं नाम वधारे छे |.१६२. छायानी( मुं) बेग छे १४०. रमेशने कॉलेजनं टेन्शन छे | १६३. कमलेश- स्वेटर छे १४१. कॉलेज, पाणी पीवाय ? | १६४. साधर्मिक भक्तिनुं काम महान् १४२. हरीशचन्द्रनु जीवन आदर्शमय
१६५. हृदयमां नवकारनुं स्थान छे १४३. लवण समुद्रनुं पाणी खारुं छे १६६, आराधनानुं काम उत्तम छे १४४. कमलनु फुल सरोवरमां छे १६७. रखडवानुं काम मननी १४५. गुरुनुं वचन मान्य छे
चञ्चलता छ १४६. समिति गुप्तिनुं पालन मारु १६८. देवोनु सौन्दर्य अद्भूत छे कर्तव्य छ
| १६९. जगत्नु हित परमात्मा चिन्तवे