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चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह (वर्तमान-कृदन्त ) | ७९||
| आनन्दित थाय छे । ९९. | हसतो राजा सभामां आवे छे | मजुरो पासे काम करावती| १००, देव विमानमांथी उतरतो देव | मेना गुस्से थाय छे
| गिरिराजनी स्पर्शना करे छे। ८३. | दान आपतो राजा हर्षित थाय १०१. केसर घसतो पूजारी वातो करे
| पाछा वलता नेमने जोईने १०२, नाचतो मोर मेहने बोलावे छे
राजुला मुच्छित थाय छे । १०३, दोडता ससला खाडामां पडे | भक्ति करती मीना नाचे छ । | रोती राजुलाने मुकी नेम जाय . १०४, बगीचामां चालतो नरेश
आनन्द पामे छे दूध पीती बिलाडी डरे छे । १०५, सामायिक करतो श्रावक सुती राजकुवंरी स्वप्न जुवे छे| समता राखे छे | संदेश देतो दूत गभराय छ । १०६, पूजा करतो कमलेश चिन्तन | पास थतो राजू ईनाम मेंळवे छे । करे छे | पाणी पीतो हाथी सूंढ ऊंची १०७, समुद्रमा तरतो रूपेश गोथा करे छे
खाय छे फुफाडा मारतो नाग 'जीभ १०८, ध्याने चढतो ज्ञानी आत्मसात् बहार काढे छ ।
करे छे वांचना आपता गुरु महाराज १०९, शिकार करतो युवराज खोवाई समजावे छे
|जाय छे | संस्कृत भणता बालमुनि ११०. जवला चणतो पक्षी सुई जाय | आगल वधे छे तीखा मरचा खातो गणेश १११. जवना बनावतो सोनी साधुने पाणी पीवे छे
नमस्कार करे छे कॉलेजमां भणती ममता ११२. काष्ठनी भारी नाखते (छते) प्रभुदर्शन करती नथी
क्रोंच पक्षी जागे छे |९७. रत्नोनी माला लेती दासी ११३. जवला जोतो सुनार (सोनी) हरखाय छे
संयम ग्रहण करे छे ९८. अट्ठम करती चन्दनबाला ११४. मन वचन कायानी स्थिरता अतिथिनी राह जुवे छे
करतो सोनी केवल ज्ञान पामे