________________
C) hoy thc) •hc)
| २८ (वर्तमान कर्तरि भावे...) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह हुं नाचुं छु
१५. | मारा वडे अपाय छे हुं आपुं छु
| मारा वडे आदेश अपाय छे हुं आदेश आपुं छु
मारा वडे वखाणाय छे . हुं वखाणुं छु
मारा वडे रटाय छे हुं रटुं ( रटण करूं) छु मारा वडे शणगाराय छ । हुं शणगारूं छु
मारा वडे भूलाय छ : हुं भूलुं छु
मारा वडे मराय छे. हुं चालुं छु ।
मारा वडे चखाय छे . . हुं सिद्ध थाq छु
मारा वडे सिद्ध थवाय छे हुं चमकुं छं .
मारा वडे चमकाय छे हुं जय पामुं छु
मारा वडे जयपमाय छे हुं गणुं
मारा वडे गणाय छे. हुं निन्दा करूं छु
मारा वडे निन्दा कराय छे हुं क्रोध करुं छु
मारा वडे क्रोध कराय छे हुं स्पृहा करूं छु
वड़े स्पृहा कराय छे ३०. हुं खावू छु
मारा वडे खवाय छे. हुं हर्ष पामुं छु
मारा वडे हर्ष पमाय छे हुं रहुं छु .
मारा वडे रहेवाय छे हुं वन्दन करूं छु
| मारा वडे वन्दन कराय छे हुं तिरस्कार करूं छु ३४. | मारा वडे तिरस्कार कराय छे हुं जावू छु
३५. | मारा वडे जवाय छे वर्तमान कर्तरि + भावे (द्वितीय पुरुष) १. | तुं दीपे छे
१. तारा वडे दीपाय छे । २. | तुं दुःख दे छे
२. | तारा वडे दुःख देवाय छ । ३. | तुं प्रशंसे छे
तारा वडे प्रशंसाय छे | तुं विपरीत बोले छे
तारा वडे विपरीत बोलाय छे | तुं रोपे छे
तारा वडे रोपाय छे . तुं तोले छे
तारा वडे तोलाय छे | तुं त्याग करे छे
७. | तारा वडे त्यांग कराय छे
Call.sal.la.ca
» » »