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|| ७२ | (विशेषण-विशेष्य-कृदन्त) चिन्तन हैम संस्कृत-भव्य वाक्य संग्रह
सुन्दर वस्त्रो खुब ज उल्लासथी रंगना घोडा पर मुल्यवान् | पोतानी सुन्दर हवेलीमां झगमगता वस्त्रो, गलामां बोलावीने पोताना हाथथी चमकतो हार, अने माथे पीली हर्षोल्लास पूर्वक अर्पण करे छे झरीनी पाघडीथी सुशोभित ज्ञानि-ध्यानि-त्यागि-तपस्वि- एवा राज कुमारने आवतो मुनि महाराज पोतानी विशाल जुवो छे नगरीने छोडीने आत्माराधनानी | | १३. | स्टेडियममां विशाल जन अपूर्व साधना करवा माटे उग्र समूहनी वच्चे सफेद | विहार करीने, भवि लोकोने | युनिफार्म, लाल टोपी, आँख प्रतिबोध करीने भयंकर पर काला चश्मा, माथा पर जंगलमां निर्भय बनीने टोपो, हाथमां ग्लोक्स, पगमां कार्योत्सर्ग करे छे
पेड बांधीने हाथमां लाकडानी | तारक परमात्माना पावन दर्शन | बेट अने सीझन बोल लईने
पूजनथी आत्मा परम शान्ति लोको- मनोरञ्जन करवा एवं पूर्व सञ्चित क्लिष्ट | | क्रिकेटर मैदानमां आवे छे । कर्मोनो जल्दी नाश करीने | १४. सफेद विदेशी लाल बेग लईने शीघ्र मोक्षपद प्राप्त करे छे । ऊंचा पहाड उपर सफेद बुट | कलिकाल सर्वज्ञ | पहेरीने मधुर मुस्कानथी धीरे | हेमचन्द्राचार्य लघुवयमां चारित्र | | धीरे चाले. छे अंगीकार करी पोतानी | १५. | संदीप पोताना मित्रोनी साथे बुद्धिमत्ता एवं होशियारीथी लीली फियेट कारमां काली अनेक ग्रन्थोनी सुन्दर रचना सीट पर बेसीने मुम्बईनी करी अढार देशना पराक्रमी प्रख्यात चोपाटीना मनोहर राजा कुमारपाल महाराजाने गम्भीर उच्छाला मारता प्रतिबोध करी जैन शासननी समुद्रना किनारे फरतां फरतां खुब-खुब शोभा वधारे छे त्यांना रमणीय वातावरणने | राजकुंवरी मखमलना' गादला निहालतो डुबता सूर्यनी
पर घोर निद्रामा प्रसन्न लालासथी आनन्द पामतो | मुखवाली सुन्दर स्वप्नमां किल्लोल करे छे लीला आकाशमांथी श्वेत | १६. विशाल अने भव्य उज्जैनी
१२.