Book Title: Yogasara Prabhrut
Author(s): Amitgati Acharya, Jugalkishor Mukhtar
Publisher: Bharatiya Gyanpith

View full book text
Previous | Next

Page 15
________________ प्रधान सम्पादकीय १६०३)। इसका मूलपाठ श्री पन्नालाल बाकलीवाल के हिन्दी अनुवाद सहित भारतीय सिद्धान्त प्रकाशिनी संस्था (कलकत्ता, प्र.सं. १६०८, द्वि. सं. १६२२) द्वारा प्रकाशित हुआ है। इसके पश्चात् कुछ अन्य संस्करण भी किसी-न-किसी अनुवाद सहित इधर-उधर से प्रकाशित हुए हैं। धर्मपरीक्षा साहित्य के विकास का पूर्ण परिचय प्राप्त करने के लिए डॉ. उपाध्ये द्वारा सम्पादित धूर्ताख्यान की प्रस्तावना द्रष्टव्य है (सिंघी जैन ग्रन्थमाला बम्बई, १६४४)। इसमें इस ग्रन्थ के विषय सम्बन्धी अनेक सम्बद्ध स्रोतों का उल्लेख किया गया है। जहाँ तक ज्ञात हो सका है इस विषय का मूलाधार निशीथचूर्णि में पाया जाता है (डॉ. उपाध्ये का आचार्य विजयवल्लभसूरि स्मृतिग्रन्थ के पृष्ठ १४३ आदि में प्रकाशित लेख, बम्बई, १९५६)। यहाँ जो एक कथात्मक उदाहरण आया है उसी में हरिभद्र ने धार्मिक बीजों का आरोपण कर उसे एक प्रभावशाली व्यंग्य के रूप में संवर्धित किया है। तत्पश्चात् इस व्यंग्यात्मक रचना ने जयराम (प्राकृत), हरिषेण (अपभ्रंश) तथा अमितगति (संस्कृत) जैसे ग्रन्थकारों के हाथों एक विधेयात्मक धार्मिक प्रचार का रूप धारण कर लिया। अमितगति कृत रचना को ही कुछ-कुछ परिवर्तित रूप में पद्मसागरगणी ने और वृत्तविलास ने तथा अन्य ग्रन्थकारों ने अपनी-अपनी संस्कृत व कन्नड़ आदि भाषाओं की रचनाओं में स्वीकार किया है। अमितगति कृत पंचसंग्रह का पण्डित दरबारीलाल द्वारा सम्पादित संस्करण माणिकचन्द्र दिगम्बर जैन ग्रन्थमाला (क्र. २५, बम्बई, १६२७) में प्रकाशित हुआ है। इस ग्रन्थ का एक अन्य संस्करण बंशीधर शास्त्री कृत हिन्दी अनुवाद सहित धाराशिव (उस्मानाबाद, महाराष्ट्र, १६३१) से प्रकाशित हुआ है। इसी नाम के अन्य ग्रन्थों का विवरण पण्डित हीरालाल शास्त्री द्वारा सम्पादित पंचसंग्रह की प्रस्तावना में देखा जा सकता है (मूर्तिदेवी जैन ग्रन्थमाला, क्र. १०, वाराणसी, १६६०)। उपासकाचार, जिसका सुप्रचलित नाम अमितगति-श्रावकाचार भी है, का संस्कृत पाठ भागचन्द कृत वचनिका सहित मुनिश्री अनन्तकीर्ति दि. जैन ग्रन्थमाला (क्र. २, बम्बई, १६२२) में प्रकाशित हुआ था। इसी का एक अन्य संस्करण हाल ही ब्रह्म. शीतलप्रसाद स्मारक ग्रन्थमाला में प्रकाशित हुआ है (क्र. १०, सूरत)। अमितगति कृत आराधना शिवार्यकृत भगवती आराधना अर्थात् मूलाराधना में शोलापुर से (सन् १९३५ में) प्रकाशित हुई है। अमितगति कृत द्वात्रिंशिका, जिसका प्रचलित नाम सामायिक-पाठ भी है, मा. चं. दि. जै. ग्रन्थमाला (क्र. १३, बम्बई, १६२८, पृष्ठ १३२-३७) में प्रकाशित है। यह बड़ी लोकप्रिय रचना है जो किसी-न-किसी अनुवाद सहित अनेक बार प्रकाशित हुई है। तत्त्वभावना, जिसका नाम सामायिक पाठ भी है, मा. चं. दि. जै. ग्रन्थमाला (क्र. २१, बम्बई, १६२२, पृ. १७०-६१) में प्रकाशित है। यह ग्रन्थ अपने में कितना पूर्ण था इसका निर्णय तभी हो सकता है जब इस रचना की कुछ और प्राचीन हस्तलिखित प्रतियाँ प्रकाश में आएँ। अमितगति कृत योगसारप्राभृत गजाधरलाल जी कृत हिन्दी अनुवाद सहित पन्नालाल बाकलीवाल द्वारा प्रकाशित हुआ था (कलकत्ता, १६१८) और अब इसी का एक महत्त्वपूर्ण संस्करण पण्डित जुगलकिशोर मुख्तार की व्याख्या सहित प्रस्तुत रूप में प्रकाशित हो रहा है। जिन विद्वानों ने इससे पूर्व अमितगति की रचनाओं का अध्ययन प्रस्तुत किया है उन्होंने ग्रन्थकार के जीवन-चरित्र तथा उनकी रचनाओं पर अपने विचार प्रकट किये हैं। इस विषय पर जिन स्रोतों का उल्लेख ऊपर किया जा चुका है उनके अतिरिक्त कुछ और इस प्रकार हैं: पं. नाथूराम प्रेमी द्वारा लिखित विद्वद् रत्नमाला, (पृ. ११५-४०, बम्बई, १९१२) तथा उन्हीं का जैन साहित्य और इतिहास (बम्बई, प्र. सं. १६४२, द्वि. सं. १६५६, पृ. २७४ आदि), विंटर्निज का भारतीय साहित्य का इतिहास, भाग २ (कलकत्ता, १६३३, पृ. ५६१-६७), आ. ने. उपाध्ये द्वारा सम्पादित परमात्मप्रकाश (प्रस्तावना पृ. ७१, द्वि. सं., अगास, १६६०)। सुभाषितरत्नसन्दोह (सं. १०४०, ई. ६६४), धर्मपरीक्षा (सं. १०७०, ई. १०१४), पंचसंग्रह (सं. १०७३, ई. १०१७), श्रावकाचार तथा आराधना में ग्रन्थकार विषयक बहुत-सी जानकारी उपलब्ध है। उनकी अन्य कृतियों में अमितगति का नाम-निर्देश मात्र पाया जाता है। अपने समकालीन राजाओं में से अमितगति ने सुभाषितरत्नसन्दोह में मुंज (६७४-६५ ई.) तथा सिन्धुपति (सिन्धुराज के दो तिथ्यंकित शिलालेखों से प्रमाणित, १०१६, १०२१ ई.) का उल्लेख किया है। ये दोनों मालवा पर राज्य करनेवाले परमार वंश के सुविख्यात राजा हैं। अमितगति जिस माथुर संघ के आचार्य थे उसकी उपर्युक्त आधारों पर निम्न प्रकार वंशावली तैयार की Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 ... 284