Book Title: Wah Zindagi Author(s): Chandraprabhsagar Publisher: Jityasha Foundation View full book textPage 9
________________ घर केवल ईंट, चूने और पत्थर का निर्माण नहीं होता बल्कि उसमें रहने वालों के आपसी प्रेम, आत्मीयता, मर्यादा और त्याग की भावना से घर का निर्माण होता है। प्रेम, त्याग और मर्यादा का नाम ही घर-परिवार है। स्वाभाविक है कि जिस मकान की चिनाई अच्छे तरीके से हुई है, वह इमारत खूबसूरत हुआ करती है। ऐसे ही जिस परिवार का निर्माण अच्छे माहौल और अच्छे संस्कारों के बीच हुआ है, वह परिवार समाज के बीच खूबसूरत मकान की तरह ही है। ___परिवार सामाजिक जीवन की रीढ़ की हड्डी है। सामाजिक जीवन का पहला मंदिर परिवार ही है। परिवार का निर्माण व्यक्तियों के समूह से होता है और समाज का निर्माण परिवारों के समूह से होता है। इसलिए तय है कि जैसे व्यक्तिहोंगे वैसा परिवार बनेगा, वैसा ही समाज बनेगा। जैसे समाज होंगे वैसा ही देश और विश्व बनेगा। विश्व और देश के बेहतरीन स्वरूप के लिए जरूरी है कि हममें से हर किसी के घर-परिवार का स्वरूप अच्छा हो, बेहतर हो, गरिमापूर्ण हो। विश्व का पहला विद्यालय व्यक्ति का अपना परिवार ही होता है। स्कूल में पुस्तकीय शिक्षा तो प्राप्त हो जाती है, लेकिन सुसंस्कारों की पाठशाला तो उसका अपना घर ही है। सामाजिक चरित्र के निर्माण के लिए, गरिमापूर्ण समाज के निर्माण के लिए, अहिंसक और व्यसनमुक्त समाज के निर्माण के लिए परिवार का अहिंसक, व्यसनमुक्त और गरिमापूर्ण होना आवश्यक है। एक सप्ताह में सात दिन होते हैं और अगर हम रविवार से शुरू करें तो पहला दिन ही छुट्टी का हो गया और जो छुट्टी के दिन परिवार के सारे लोग घर के कामकाज करते हैं, दोनों समय साथ बैठकर भोजन करते हैं तो वह छुट्टी का दिन संयुक्त परिवार का आनन्द लेने के लिए, परिवार-निर्माण के लिए आधार बनता है। सोम से रवि तक सात दिन का सप्ताह होता है। यह तो एक सप्ताह के सात वार हो गए। मैं एक आठवाँ 'वार' भी बताता हूँ और वह वार है परिवार'। जहाँ घर के सारे सदस्य एक ही छत के नीचे मिल-जुल कर रहते हैं वहाँ परिवार होता है। जहाँ सातों दिन इकट्ठे होते हैं उसे सप्ताह कहते हैं। इस रहस्य से आप समझ सकते हैं कि आपकी एकता, सद्भावना और समरसता आपके परिवार वाह! ज़िन्दगी Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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