Book Title: Vrat Vichar Ras
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

View full book text
Previous | Next

Page 9
________________ अनुसंधान-१९ वि.सं.ना कार्तक वदी अमास (गुजराती आसो वदी अमास)ना दिवसे त्रंबावतीखंभात मध्ये आ रास रच्यो होवानुं जणावे छे. कार्तकी अमासे दीपकदाढो होवानुं जणावीने, ते समये गुजरातमां पण राजस्थाननी जेम दिन-मासव्यवस्था हती तेम सूचवी दे छे. आ पछी पोतानो परिचय आपतां कवि कथे छे के जंबूद्वीप, भरतक्षेत्र, गुजरात देश, तेमां वीसल चावडाए वसावेल वीसलपुर नगर (वीसनगर). त्यांनी निवासी वीशा पोरवाड ज्ञातीय महीराज हतो. तेना पुत्र संघवी सांगण खंभातमां आवी रहेला. तेमना पुत्र ऋषभदासे त्रंबावतीमां आ रास रच्यो. प्रांते पुष्पिका छे, ते उपरथी जणाय छे के १६६६मां रचेला आ रासने कविए छेक १६७९मां एटले के 14-15 वर्ष पछी लिपिबद्ध कर्यो हतो. ८१मी ढाल-कलशगीत स्वरूप छे. आश्चर्यजनक रीते थोडाक शाब्दिक फेरफारने बाद करतां, आ गीत अने कविए रचेल 'कुमारपाल रास'नुं कलशगीत बिल्कुल समान छे. आनी रचना १६६६मा छ, कुमारपाल रासनी रचना १६७०मां छ- ए मुख्य फेर. (जुओ जैगुक. 3 पृ. 36-37). आ अंतिम ढालमां बे स्थाने [-]मां मूकेलो पाठ ते जैगूक 3, पृ. २९मां छपायेला पाठने आधारे छे, तेनी नोंध लेवी. कवि ऋषभदास स्वयं व्यापारी वणिक होईने तेमनी भाषा तथा लखावट अने जोडणी लगभग बोलचालनी शैलीमां छे. आ संपादनमां ते बधुं जेमनुं तेम रहेवा दीधुं छे. आनी बीजी प्रतिओ क्यांक हशे ज, अने तेनी साथे मेळवतां जोडणीनी दृष्टिए मोटा फेरफारो पण जोवा मळे खरा. अथवा आपणे पण तेवा फेरफार करी शकीए. परंतु अहीं तेम करवान नथी स्वीकार्यु. कविनी अने ते समयनी बोलचाल, लखावट तथा जोडणी केवी हशे तेनो अणसार तथा अंदाज आमांथी अवश्य मळी शके, जे संशोधननी दृष्टिए बहु उपयोगी बने. कविए, आपणे आजे ज्यां 'ज' नो प्रयोग करीए छीए, त्यां घणे भागे 'य' ज वापरेलो छे. दा.त. 'यम' - जेम, 'यगनाथ' जगनाथ, 'काय'- काज इत्यादि. तो ज्यां शब्दमध्ये 'र' आवे त्यां कवि 'र;' उमेरीने ते शब्द मूके छे. जेमके .. मुरख - 'मुर्यख', कारमी - 'कार्यमी' Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 7 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 ... 112