Book Title: Vrat Vichar Ras
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan
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________________ 29 अनुसंधान-१९ दूहा० // कुप्य म पडस्यु को वली, देव अवरनिं नाम्य / अरीहा एक विनां वली, कोय न आवइ कामि // 74 / / नमो ते श्रीभगवंतनि, आलि अर्थ म खोय / अंतर अरीहा ईसमां, सोय पटंतर जोय // 75 // कवीत // किहा परबत किहा टीबडीब किहा जिनना दास किहा अंबो कीहा आक, चंदन क्यांहा वन घास / किहा कायर किहा सुर, समुद्र किहा बीजां षांब किहा षासर किहा चीर, पेखि किहा अवनी आभ / किहा ससीहर नि सीपनु, दाता क्यरपी अंतरो, किहा रावण किहा रांम, 'कवि ऋषभ' कहइ द्रीष्टांतरो // 76|| - दूहा // एणइ द्रीष्टांति परिहरो, अनि देव असार / कांम क्यरोध मोहिं नड्या, तेहमां कस्यु सकार // 77 / / ईस्वरवादी बोलीओ, वचन सूणी ततखेव / करता हरता ईस एक, अवर न दूजो देव // 78 // ढाल 18(17) चोपई० // देव अवर नही दूजो कोय, भ्रह्मा वीस्णु नि ईस्वर सोय / ए त्रणेनी वोहो सीरि आण्य, जग नीपायु एणइ [तु जा] ण ||79 / / अणि त्रीभोव[न] भ्रह्मा घडइ, अवर देव को तिहा नवि अडइ / नारि पुर्ष पसु नारकी, ए ऊपनी ते भ्रह्मा थकी // 80 // एहनि पालइ ते हरी देव, ए ईस्वरनी एहेवी टेव / जगसंघार्ण एहनुं नाम, ईस देव- ए छइ काम // 81 / / Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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