Book Title: Vrat Vichar Ras
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 100
________________ 100 १०९ १०९ ११७ १२० १२४ १२५ १२५ १२६ १२६ १२७ १२७ १२८ १२८ १३१ १३७ १४१ १४२ १४४ १४५ १४५ १४५ १४९ १५० १५४ १५५ १५६ १५६ Jain Education International ध्यन पगारा अस्युच वइहलो परीसइ परीसा परीसइ चार्ज रख्यजी ख्यध्या माधवसूत त्रीषा रषि पूत्र - चलाची अंग्यन वीनां जायनानो ऊशभ युगो वर्ण सइहइसइ दइहसइ अग्यनांन कोटल लाखि सष्य शरि अग्यन रषि श्रीशकोसी त्यणि धन प्राकार-किल्ला अशुचि वहेलो -वहेलो परीषह परीषह परीषह वडे चारित्र ऋषिजी क्षुधा कामदेव तृषा ऋषि-मुनि चिलातीपुत्र अग्नि विना याचनानो अशुभ योगो March-2002 तृण सेहेसे - सहन करशे देहसे - दहशे - बाळशे अज्ञान लाख कौटिल्ये शिष्य शिरे अग्नि ऋषि श्रीसुकोशल तणी For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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