Book Title: Vrat Vichar Ras
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 102
________________ 102 March-2002 संघारइ भ्रम » १८६४ १९३३ संहारे ब्रह्म प्रिया (सीता) سه धणि ०२ ع . मुंजराजा ع अहल्या मुज अइअहीला अन पइहइलो नर्य ع अन्न पेहेलो ه س १९८१ مر गुर्ड २०१ مر कबीरदति २०२ जग्यह » به २०६२ २०६३ २०७१ سه مر २११ ه २१२४ ه २१३ له २ ३ ३ . नरके गरुड कुबेरदत्ते यज्ञ अस्त मोकलां-स्वच्छंद लोहशिला भवअरण्यमां पातक-पाप नवि खाण- (४ गतिमां) शाने . वृत्तिकांतार सव्वसमाहिवत्तिया० वच्चे माधुं होंकायु एटलानी गति-गत नित्यकरणी हृदयमां आवश्यक चउवीसत्थव (लोगस्स) २१६ २१६ २१९ २२० २२२१ २२२३ २२२६ २२३३ २२४२ २२४३ २२५ سه x x مر असत मोक्यलां लोहशला भवअर्णम्हां पांत नव्य खाण्य स्याहानि वतीकंता वतीआ० वची मथो हवकार्यु इतानी गई नित्यकर्णी रीदइम्हा आवशग चोवीसहथो س م له له سه له Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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