Book Title: Vrat Vichar Ras
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan
View full book text
________________
122
72
सुगर कहइ संभारीइ, सीलवंतनां नाम ।
ऋषभ कहइ नर ते भला, जेणइ जगी जीत्यु कांम ॥ २१ ॥
शमशा० ॥ गोरधुपूत कहीजड़ जेह, ता वाहन भष्य कहीइ तेह | तास भष्यन नांम जे कहइ, तेहनुं वाहन जे जगी लहइ ||२२||
March-2002
तेह वाहालुं स्यु वली होय, उतपति तास वीचारी जोय । ता वाहन भष्य केरो तात, तस बंधन रीपू जग वीख्यात ||२३||
तेहना बांध्या जे जगी लहइ, तास तणो स्वामी कुण कहइ । तेनुं वाहन अतिबलवंत, तेणइ आंण्यु जगी जेहनो अंत ||२४||
तेहनि बंधी जे वश करइ, ते वहइलो मुगतिं संचरि (इ) | जन्म मर्ण जरा नही यांहि, अनंत सुख नर पांमइ त्याहि ||२५||
दूहा० ॥ संपइ सुख बहु पांमीइ, जो वश कीजइ कांम | सीलवंत जगी जेहवा, लीजइ तेहनां नांम ॥ २६ ॥
ढाल० ॥ चोपई ॥ (५५) ॥ शीलवंतनुं लीजइ नांम, तो मनवंछीत सीझइ कांम । सीलवंतना पूजो पाय, रीध्य व्रीध्य सुखशाता थाय ||२७|| सीलतणो जगी महीमा घणो, जग सघलो थाइ आपणो । सुर नर कीनर दानव देव, सीलवंतनी सारइ सेव ॥ २८ ॥ सीलवंत संग्रांमि चडइ, ते कोंण नर जे सांहामो लडइ । नावइ सुरो साहामो धस्यो, सीलवंतनो महीमा अस्यु ||२९||
सीलवंतना पगनुं नीर, तेणइ लेई छाटो आप शरीर । सकल रोगनो खइ जिम थाय, कष्ट कोढ कली नाहाठो जाय ||३०||
सती सुभद्रानी सुणि वात, जेहनो जग जाणइ अवदात ! कुपि चालणि तांतणि तोलि, काढी नीर ऊघाडी पोलि ॥ ३१ ॥
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
: www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112