Book Title: Vrat Vichar Ras
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan

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Page 96
________________ 96 दीप जबुअ माहा खेत्र भरतिं भलु दे [स गुजरा ] तिम्हा सोय गास्यु | राय वीसल दडो च्यतुर जे चावडो, नगर विसल [ तिणइ वेगि] वास्यु ॥ ६१ ॥ पूण्य० ॥ सोय नगरिं वस प्रागवंसि वडो, मइहइराजनो सूत ते [सीह ] सरीखो । तेह बावतिनगरवाशिं रघु, नांम तस संघवी सांगण देखो ॥ ६२ ॥ पूण्य० ॥ March-2002 एहनिं नंदनि ऋषभदासि कव्यु, नगर त्रंबावतीमाहिं गायु । पूण्य पूर्ण भयु काज सषरो थयु, सकल पदार्थ सार पा ||६३ || पूण्य प्रगट भयु० २ ॥ अती श्रीवरतवीचाररास संपूर्ण ॥ संवत १६७९ वर्ष चईत्र वदि १३ गुरुवारे लषीतं ॥ संघवी ऋषभदास सांगण० ॥ गाथा० || ८६२ ( ३ ) || Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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