Book Title: Vrat Vichar Ras
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: ZZ_Anusandhan
View full book text
________________ 55 अनुसंधान-१९ दीपक जिम वलि तेल विन, शेन विनां जिम राय / धर्म दया विन ते तस्यु, खीर विनां जिम गाय // 48 // ढाल 41 (40) // देसी० मुनीवर मारगि चालता० | शनेह विनां स्यु रूसणुं, गढ विहुंणी पोलु / प्रेम विनां जिम प्रीतडि, मन मइल अंघोल्यु // 49|| धर्म दया विन ते तस्यु, जस्यु लुखुं अनो / तप जप संयमस्यु धरइ, जो मइलुं मंनो / / धर्म दया विन ते तस्यु | आंचली० // बालिक विन जिम पालणुं, काल विहुणो मेहो / संपति विण जिम पाहणो, गइ यौवन नेहो || 50 // धर्मः / / जोग विनां जोगी जस्यु, मन विहुणुं ध्यांनो / गुरु विण गछ नवी स्युभीइ, वर विहुणि जांनो // 51 // धर्मः / / दाता विन जिम जाचिका, प्रांणि विण देहो / / धर्म दया विन ते तस्यु, भाषइ सुगुरू एहो // 52 // धर्म० // दूहा० // सुगुरू पयंपइ सुगुण सुणि, समझे शाहास्त्र विचार / पर प्राणी तो ऊगरइ, लहीइ स्युध आचार // 53 / / ढाल 42 (41) // देसी० जोरइ जन गति स्यंभुनी / / राग-मल्हार / / देसी बीजी : कहइणी करणी / तुझ विणि साचो० // ऊतम कुलनो ए आचार, षट वेद चंदरुआ बंधइ जी / जिवजतन जगि एणि परि करसइ, ते स्युभ मारग संधइ जी // 54 / / ऊतम कुलनो ए आचार / आंचली० // Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Page Navigation
1 ... 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112