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पोरजिणिवचरित कोई प्रदेश आदिकी सूचना नहीं दी गयी । तथापि अन्य ऐसे उल्लेख प्राप्त हैं जिनसे स्पष्ट हो जाता है कि यह कुण्डपुर विदेह प्रदेशमें स्थित था । उदाहरणार्थ पूज्यपाद स्वामी कृत निर्वाण-भक्तिमें कहा गया है कि :__ "सिद्धार्थनपति-जनयो भारतवास्ये, विदेह-कुण्डपुरे ।" अर्थात् राजा सिद्धार्थ के पुत्र महावीरका जन्म भारतवर्ष के विदेह प्रदेशमें स्थित कुण्डपुर में हुआ। इसी प्रकार जिनसेन कृत हरिवंश पुराण (सर्ग २ श्लोक १ से ५) में कहा गया है कि :
अथ देशोऽस्ति विस्तारो जम्बूद्वीपस्य भारते । विदेह इति विख्यासः स्वर्गखण्डसमः श्रिया ।। तत्राखण्डलनेवालीपद्मिनीखण्ठमण्डनम् ।
सुखाम्भःकुण्डमाभादि नाम्ना कुण्डपुरं पुरम् ।। अर्थात् जम्बूद्रोपके भरतक्षेत्र में विशाल, विख्यात व समृद्धिमें स्वर्गके समान जो विदेह देश हैं उसमें कुण्डपुर नामका नगर ऐसा शोभायमान दिखाई देता है जैसे मानो वह सुखरूपी जलका कुण्ड ही हो, तथा जो इन्द्र के सहस्र नेत्रोंकी पनिहामी कमली-ससे गणित हो । गुगत सरपुराण ( पर्व ७४ श्लोक २५१-२५२) में भी पाया जाता है कि :
भरतेऽस्मिन्विदेहास्ये विषये भवनाङ्गणे ।
राज्ञः कुण्डपुरेशस्य पसुधारापतत्पृथुः ॥ अर्थात् इसी भरत क्षेत्रके विदेह नामक देशमै कुण्डपुर-नरेशके प्रासादके प्रांगण में विशाल धनको धारा बरसी ।
अर्द्धमागपो आगमके आचाराङ्ग मूत्र ( २, १५) तथा कल्पसूत्र ( ११० ) में भी कहा गया है कि:
समणे भगवं महाबोरे जाए गायपुत्ते णायकुलणिमत्ते विदेहे विदेहदित्ते विदेह जच्चे विदेहसूमाले तोसं वासाई विदेहसि कटु अगारमझे वसित्ता.... । ___ अर्थात् ज्ञात, ज्ञात-पुत्र, ज्ञातृकुलोत्पन, वैदेह, विदेहदत्त, विदेहमात्य, विदेहन सुकुमार, श्रमण भगवान् महावीर ३० वर्ष विदेह देशके ही गहमें निवास करके प्रबजित हुए।
और भी अनेक अवतरण दिये जा सकते है, किन्तु इतने ही उल्लेखोंसे यह भली प्रकार सिद्ध हो जाता है कि भगवान् महावीरकी जन्मनगरीका नाम कुण्डपुर था, और वह कुण्डपुर विदेह प्रदेशमें स्थित था। सौभाग्यसे विदेहको सीमाके सम्बन्ध में कहीं कोई विवाद नहीं है। प्राचीनतम काल से बिहार राज्यका गंगासे उत्तरका भाग विदेह और दक्षिणका भाग मगध नामसे प्रसिद्ध रहा है । इसी विदेह प्रदेशको तोरभुक्ति नामसे भी उल्लिखित किया गया है जिसका वर्तमान
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