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६. ४. १२ ] हिन्दी अनुवार
७९ समस्त परिजन जाकर एकत्र हुए और उन्होंने दुर्बुद्धि चिलातपुत्रको नगरसे निकाल बाहर किया। उसने अपने मातामहके पास जाकर वनमें एक प्रबल कोट बनाया। वह राज्यभ्रष्ट होकर वहाँ अनीतिपूर्वक चौरवृत्तिसे जीवन-यापन करने लगा। उसका एक भद्रमित्र नामक प्रियमित्र था, जैसे रामको लक्ष्मण अत्यन्त प्रिय थे। उस के रुद्रमित्र नामक मामाकी एक सुखदायक सुभद्रा नामक पुत्री थी । चिलातपुत्र उसका परिणय नहीं कर पा रहा था, क्योंकि उसका वागदान किसी अन्य बलवान्को कर दिया गया था। यह बात सुनकर चिलातपुत्रने सैकड़ों सुभट एकत्र किये और वहाँ आकर बलपूर्वक कन्याका अपहरण कर लिया। लोगोंके देखतेदेखते ही वे दोनों वहाँसे चले गये ||३||
चिलातपुत्र वारा कन्यापहरण, श्रेणिक द्वारा आक्रमण किये
जानेपर उसका धात तया भारगिरिपर मुनि-दर्शन यह बात सुनकर राजा श्रेणिक सेना सहित उसका पीछा करने लगा। राजा व धुड़सवार जब वहाँ पहुँच भी न पाये तभी उसने एक वनप्रदेशमें जाकर उस कन्यासे विवाह कर लिया। यद्यपि उसके पास बहुत-से भयंकर शरवीर योद्धा थे, तब भी भला चोर राजाका क्या सामना कर सकते हैं ? उनमें से कितने ही अस्त हुए, निरुद्ध हुए और बाँध लिये गये तथा कितने ही यमराजकी पालकीमें डाल दिये गये । सेना द्वारा किये गये उस भारी संहारको देखकर चिलातपुत्रने विचार किया कि जब यह