Book Title: Veerjinindachariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 154
________________ सन्धि ७ श्रेणिक-राज्य लाभ अम्बूद्वीप, भरतक्षेत्र, मगधवेश, राजगृहपुर, राजा उपयणिक, रानी सुप्रभा, पुत्र श्रेणिक । सीमान्त नरेश अभिधमके प्रेषित अश्व द्वारा राजाका अपहरण व वनमें किरातराजको पुत्री तिलकावतोसे विवाह सिद्धिरूपी वधूके वर तथा दुश्चरित्र का दुरसे अपहरण करनेवाले जिनेन्द्रको प्रणाम करके मैं लोगोंके मनमोहक सुहावनी कथारूप श्रेणिकचरितका वर्णन करता हूँ। उसे सुनो । जम्बूद्वीपके दक्षिण भागमें शोभायमान भरतक्षेत्र है और उसके मगध देशमें सुन्दर राजगृह नामक नगर है। वहाँ तनिक भी कोई दोष नहीं, और सभी गुण वर्तमान हैं। वहाँ शत्रुके गर्वका विनाश करनेवाले परमकीर्तिवान् राजा उपश्रेणिक राज्य करते थे। उनकी अत्यन्त शीलवती रानी सुप्रभा देवी थी। उनसे घेणिक कुमार नामक पुत्र उत्पन्न हुआ जो नाना गुणोंका निवासभूत और साक्षात् कामदेवके समान सुन्दर था। एक दिन उनके सीमान्तवर्ती राजा अभिधर्मने पूर्व वैरका स्मरण कर मगधराजको एक प्रचण्डवेग, दुष्ट अश्व भेजा। उस अश्वको देखकर राजाके मनमें बड़ा सन्तोष हुआ तथा उसने अपने परिजनों सहित अश्वकी खूब प्रशंसा की। वह बलपूर्वक दुर्जेय राजा कुतुहलवश उस अश्वपर आरूढ़ होकर बाहर मैदान में गया । तत्क्षण ही वह अश्व राजाका अपहरण करके एक भीषण वनमें ले गया। तुरगको छोड़कर राजा जब एक वृक्षके नीचे बैठे थे, तभी वहाँके किरातराजने उन्हें देखा।

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