Book Title: Veerjinindachariu
Author(s): Pushpadant, Hiralal Jain
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 187
________________ १५ २० ११८ affairs सो उवसग्गु सहेपिणु धीरज । मोक्खो जाय अ-सरीरउ || देवगम निवि उवसंत | जाड बुद्धदासु जिण भत्तउ ॥ नरसीह वि नरपालहो पुत्तहो । रज्जु समपेवि गुण- गण - जुत्तहो || राय सहासें सहुँ पव्वइयउ | हुउपसिधु तत्र असइ !! चत्ता - सिरिचंदुजल- काय देव- निकाय - धुर । जायद गेवज्जामरु काले कलुस - चुउ ||३|| [ ११३. ११ इय वीरजिदिचरिए सेणियसुय-गय कुमार - दिवखावणो प्रणाम एयदहमो संधि ॥११॥ ( श्रीचन्द्रकृत कहाको ४९ से संकलित )

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