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हिन्दी अनुवाद रम्भाके समान प्रभावती उद्दायन नरेशकी रानी हुई। किन्तु महीपुरका राजा सात्यकि कामके बाणसे प्रेरित होते हुए भी उन कन्याओंमें से किसीको न पाकर रुष्ट हो उठा और वह दुर्भावनाके वश ज्येष्ठाको बलपूर्वक प्राप्त करने हेतु उसके पितामे युद्ध करने आ पहुँचा। किन्तु बह युद्धमें चेटक राजासे पराजित होकर भाग गया। कौन ऐसा है जो चेटक राजाके खड्गकी मारको सह सके ? इस पर राजा सात्यकि अत्यन्त दुस्सह विरक्ति के वश होकर दमवर मुनिके पास प्रवजित हो गया।
एक दिन राजा चेटकके पास एक चित्रकार आया और उसने राजकूमारियोंके सुन्दर चित्रपट बनाये। राजाने अपनी पुत्रियोंके उन चित्रोंको देखा जो अपने सौन्दर्यसे काम-बिलासकी भावनाको उत्पन्न करते थे। किन्तु उन्होंने देखा कि कदली-कंदल समान कोमल चेलिनी की जंघापर एक स्याहीका बिन्दु पड़ा है। उसे देख चलिनोंक पितान' अपना मुख फेर लिया। चित्रकारने राजाकी मनःस्थिति जान ली। उसने चित्र-शास्त्रके मर्मकी बात बताते हुए राजासे कहा-हे महाराज, इस बिन्दुके बिना यह चित्र शोभायमान नहीं होता। इसी बीच धात्रीने जाकर चेलिनी राजकूमारीके जंघा-स्थलका निरीक्षण किया और उसके वहाँ भी तिलका काला बिन्दु देखा। तब उस विवेकशालिनी धात्रीने आकर यह बात राजासे कही। इसपर नरेन्द्र बहत रुष्ट हो उठे। उनके क्रोधसे भयभीत होकर यह चित्रकार चुपचाप वैशाली नगरसे निकल भागा । वह राजगृह पहुंचा और वहाँ उसने राजकुमारी चेलनाके चित्रपट को राजाके उद्यान मन्दिरमें जिन-प्रतिबिम्बके पास रख दिया ॥१॥
राजा श्रेणिकका चित्रपट देखकर चेलनापर मोहित होना
__ और उसका राजकुमार द्वारा अपहरण गौतम गणधर राजा श्रेणिकसे कहते हैं कि हे राजन्, तुमने उस चित्रपटको देखा और उसके विषयमें अपने किंकरोंसे पूछा। उन्होंने बतलाया-हे शत्रु-भयंकर नरेश, ये चित्रबिंब चेटक राजाकी विनयशील पुत्रियोंके लिखे गये हैं। इनमेंसे प्रथम चारका विवाह हो चुका है, किन्तु उनसे लघु तीन से दो यद्यपि यौवनको प्राप्त हो गयी हैं, तथापि अभी तक