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४. ७. १० ] हिन्दी अनुवाद तप ग्रहण करेंगे, वा श्रेष्ठ यति होवेंगे और फिर सुधर्म आचार्यके कर्मोंका विनाश कर निर्वाण प्राप्त कर लेनेपर, वे जिनेन्द्र भगवान्के चरणों में हाथ जोड़कर श्रुतकेवली होवेंगे ।।६।।
जम्बूस्वामीको केवलज्ञान-प्राप्ति इसके पश्चात् बारहवां वर्ष आनेपर वे अपने मनको समाधिमें स्थित कर रागद्वेष रहित होते हुए पंचमज्ञान अर्थात केवलज्ञानको प्राप्त करेंगे। उनके शिष्य भव नामक ऋषि होवेगें। उसके पास जम्बूस्वामी महीतलपर बिहार करते हुए दश गुणित चार अर्थात् चालीस वर्ष तक समस्त भव्य जीबौंको धर्मका उपदेश देवेंगे, और उनके मिथ्यात्व और मोहका विध्वंस करेंगे। इस प्रकार जम्बूस्वामी अन्तिम केवली होवेंगे और मेरे विशालवंश रूपी शिष्य-परम्पराकी उन्नति होगी। .
इसि जम्बूस्वामि-प्रवज्या विषयक चतुर्थ सन्धि समाप्त
सन्धि ॥ ४ ॥