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अन्वयार्थ : [ सुदणाणजलेण ] श्रुतज्ञान के जल से [सया ] सदा [ सयं वि ] स्वयं भी [ पहाणं ] स्नान [ करेदि ] करते हैं [ कारयदि ] और कराते हैं [ देहप्पविब्भमलयं ] देह और आत्मा के विभ्रम का नाश करने वाले [ तत्त्वं ] तत्त्व को [ कहेदि ] कहते हैं [ णमंसामि ] उन्हें नमस्कार करता हूँ।
भावार्थ : आत्मा की निर्मलता के लिए श्रुतज्ञान ही जल है जिससे आत्मा विशुद्ध होती है । जैसे-जैसे आत्मा श्रुतसागर में अवगाहन करता जाता , वैसे-वैसे देह और आत्मा का भ्रम विलीन होता जाता है। देह और आत्मा का भ्रम जिससे नाश हो, वही तत्त्व है । तत्त्व का कथन करने वाले उन आत्मा को मेरा नमस्कार है।
हे भव्य आत्मन् ! ऐसा नहीं समझना कि देह और आत्मा का भेद विज्ञान मात्र समयसार आदि अध्यात्म ग्रन्थ को पढ़कर ही होता है किन्तु प्रथमानुयोग के ग्रन्थों को पढ़कर भी होता है । पुराण ग्रन्थों में ऐसे बहुत से उदाहरण आते हैं जिनसे ज्ञात होता है कि सम्यग्दर्शन, वैराग्य और धर्म की प्राप्ति अपने या किसी अन्य जीव के भवों का ज्ञान करने से हो जाता है। कितने ही जीव भव - भवान्तरों को सुनने मात्र से वैराग्य को प्राप्त हो दीक्षा ग्रहण कर लेते हैं। फिर अन्य अनुयोग के ज्ञान से आत्मा निर्मल होता है।
प्रथमानुयोग से पुण्य का फल, महापुरुषों की जीवन शैली ज्ञात होती है। करणानुयोग से भगवान् की सर्वज्ञता का विश्वास होता है। चरणानुयोग से वर्तमान में आचरण की विधि ज्ञात होती है । द्रव्यानुयोग से आत्मतत्त्व वीतरागता का ज्ञान होता है। इसलिए हे भव्य ! चारों अनुयोगों पर श्रद्धान रखो।
पुनः उस श्रुतज्ञान को नमस्कार करते हैं
कुमदंधयारबहुलं जम्मजरामरणदुक्खदीहकरं । खिप्पदि य अण्णतित्थं सव्वसमत्थं णमंसामि ॥ ३ ॥
जन्म जरा मृति वर्धन कारक दुःखों की नित ही भरमार अन्धकार में रखने वाले कुमति प्रदायक तीर्थ अपार । अनेकान्त से खण्डित करके मण्डित करते जिनमत को जिनवर भाषित श्रुत को नमता सर्वसमर्थ बना श्रुत जो ॥ ३ ॥
अन्वयार्थ : [ कुमदंधयार बहुलं ] कुमतों के अन्धकार की बहुलता वाले [ जम्म-जरा-मरण - दुक्खदीहकरं य ] जन्म, जरा, मृत्यु के दुःख को बढ़ाने वाले [ अण्णतित्थं ] अन्य तीर्थों को [ खिप्पदि ] जो दूर करता है [ सव्वसमत्थं ] सर्व समर्थ उस श्रुत को [ णमंसामि ] नमस्कार करता हूँ ।
भावार्थ : हे भव्य ! अन्य शास्त्रों में मिथ्या बुद्धि का बहुत अन्धकार है। मिथ्या कथानकों में पात्रों का वर्णन ज्ञानियों की बुद्धि में उपहास कराता है।