________________ श्री तेरहद्वीप पूजा विधान [11 FararwarshNEPASANNASWANANESANSKNNN ऐसो द्रव्य लाय भव्य पूजत जिनेश पाय, पुन्यके समूह भरें प्रभुको चढायकै // 69 // दोहा-श्री जिन पूजा जो करै, सो नर इन्द्र समान। पुन्यवान ता सम नहीं, सेवत सुरनर आन 70 // अथ सामग्री बनावनेकी विधि (कवित) जल चन्दन अक्षत प्रसून लै, नेवज दीप धूप फल जान, धरती धरी गिरी धरती पर, नाहिं उठावत जे बुधिमान। पगसों लगै दृष्ट कोउ छीवै, बहुत लोग सपरस नहि ठान, प्रानीचाकरकर ले न चलै सो,मलिन वस्त्र नहिं ढकै सुजान। दोहा-यह विचारित बचायकै, सुन्दर द्रव्य सुधोय। ले जिनवर पूजा करे, शिवतिय वल्लभ होय // 72 // ____ अथ पूजाकारक लक्षण (सवैया इकतीसा) सुन्दर स्वरूप लहै देव शास्त्र आन वहै, ___गहै व्रत शील दया हिरदे धरतु है। गुणके समूह धरै चारों विधि दान करै, पुन्यके भण्डार भरै पातिक हरतु है। तीरथ गमन गुरु विनयकी लगन सदा, ध्यानमें मगन रहै नेक ना टरतु है। नर पर्याय पाय सुन्दर सुद्रव्य लाय, जिनजूके थान जाय पूजाको करतु है॥७३॥