Book Title: Tattvarthasutra Hindi
Author(s): Umaswati, Umaswami, Sukhlal Sanghavi
Publisher: Parshwanath Vidyapith

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Page 6
________________ प्रकाशकीय वाचक उमास्वाति का तत्त्वार्थसूत्र या तत्त्वार्थाधिगम जैन दर्शन की अमर एवं अद्वितीय कृति है। इसमे तत्त्व, ज्ञान, आचार, कर्म, भूगोल, खगोल यादि समस्त महत्त्वपूर्ण विषयो का संक्षिप्त प्रतिपादन किया गया है। यह ग्रन्थ जैन दर्शन को गर्वप्रथम संस्कृत कृति है । इसकी भाषा भरल एवं शैली प्रवाहशील है। इम लोकप्रिय ग्रन्थ पर अनेक टीकाएँ एवं विवेचन लिखे गए है । उनमें पंडितप्रवर सुखलालजी संघवीकृत प्रस्तुत विवेचन का प्रमुख स्थान है। हिन्दी आदि आधुनिक भारतीय भाषाओं मे विरचित तत्त्वार्थ-विवेचनों मे पंडितजी की यह कृति नि मन्देह सर्वोपरि है। इसमे समस्त प्राचीन संस्कृत टीकालो का सार समाहित है। प्रारम्भ मे पंडितजी की विस्तृत प्रस्तावना ऐतिहासिक एव तुलनात्मक दृ - से अत्यधिक महत्वपूर्ण है। यह विवेचन गुजराती तथा अग्रेजी में भी प्रकाशित हो चुका है। हिन्दी विवेचन का यह तृतीय सस्करण प्रकाशित हो रहा है। इस सस्करण में प्रस्तावना के अन्त में जापानी विदुषो कुमारा सुजुको ओहिरा का चिन्तनपूर्ण निबन्ध दिया गया है जो तत्त्वार्थसूत्र की मूल पाठविषयक समस्या पर अच्छा प्रकाश डालता है । इस तरह प्रस्तुत संस्करण को प्रत्येक दृष्टि से उपयोगी बनाने का भरसक प्रयत्न किया गया है। इस ग्रन्थ का प्रकाशन अमृतसर के स्व० लाला जगन्नाथ जैन की पुण्यस्मृति मे किया गया है। आप सोहनलाल जैनधर्म प्रचारक समिति के सम्मान्य मंत्री लाला हर जमराय जैन के पूज्य पिता थे। आपकी तथा आपकी महधर्मिणी स्व० श्रीमती जीवनदेवी दोनों की स्मृति मे जीवन-जगन चेरिटेबल ट्रस्ट' की स्थापना की गई है । इस ट्रस्ट से पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध सस्थान को आर्थिक सहायता प्राप्त होती रहती है। संस्थान ज्ञानोदय ट्रस्ट, अहमदाबाद का विशेष आभारी है जिसने चार हजार रुपये का अनुदान देकर प्रस्तुत ग्रन्थ के प्रकाशन-व्यय का आधा भार सहष वहन किया है। पूज्यप्रवर प० सुखलालजी एवं परमादरणीय प० दलसुखसाई मालपणिया का तो संस्थान प्रारम्भ से ही ऋणी है । हमारे सहयोगी श्री जमनालाल जैन ने सम्पादन-कार्य एवं ग्रन्थ को अधुनालन रूप में प्रस्तुत करने में पूर्ण सहयोग दिया है, अत: उनका मै अत्यन्त आभारी हूँ। कुशल मुद्रण के लिए शिवलाल प्रिण्टर्स के सचालक श्री हरिप्रसाद निगम धन्यवाद के पात्र है। पार्श्वनाथ विद्याश्रम शोध संस्थान मोहनलाल मेहता वाराणसी-५ अध्यक्ष १. ७. ७६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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