Book Title: Syadvadarahasya Part 3 Author(s): Yashovijay Upadhyay, Publisher: Divya Darshan Trust View full book textPage 9
________________ विपय चित्ररूपवादप्रारम्भः पि नीलाभावादः प्रतिबन्धकत्वविचारः नीलरूपाभाव नीलरूप का प्रतिबंधक से नहीं सकस पीटरपाकवाटी नीलाभापाविषन्धकत्वनिराकरणम् लघुस्याद्भादरहस्यसंवादः नीलाभावादि में चित्रमुमकिन पा पृथ्वी ही चित्ररूप का छन् है नीलाभावाभित्रकारणताविचार: कार्यसहभाव से हेतुला का चिनार लघुस्याहारस्यसंवाद: |रूपमात्रजाऽतिरिकन चित्ररूप के प्रति पाक कारण-मतविष पाकजचित्रप्रतिशेषः अपरमतयतनम् विषयमार्गदर्शिका विषय नीलपीतार नीलानुत्पादनिरूपणम् || रामभद्रसावभीममतारिणम् चित्ररूप के प्रति रूपत्वेन कान्ता रामभद्र सार्वभौम रामभद्रमतमीमांसा असमवायिकारणत्वेन हेतुताप्रकाशनम अयमवायिकारणत्वस्याननुगतम् जन्यरूपकारणमापिमर्शः जनरूप के प्रति रूपगामान्य कारण सम्बन्धानुगमस्या दोनाची जाविष्कार कारणत छेदक सम्बन्ध में अननुन निर्दोष नीरतर नामजन्पचित्ररूपसमर्थनम स्वविजातीयत्वस्वसंवलितत्वपदार्थविशदीकरणम विजातीयरूप की कारणता का विचार कपनम् नाधिकारणतागर्भित विपनामा कता पादस्वभावस्य चित्रकारणता रुन चित्रकारणत्वप्रतिपादनम् अखण्डाभावत्वंन कारणनानङ्गीकारः विभिन्न निन्न रूप की विभिन्न कारणता कल्पलतायनुसारेण यापाठोपा रूपरूप पाकर प्रतिवन्धकता पृष्ठ १५० ०५० मतविशेष १ ५५० 443 د را را 443 aby G! GkS ५७६ Taley 244 6 ७.५. ०६० ८६२ ܘܐ ܐܡܕܠ ०६२ ४६.३ ५६३ ५६४ ५६५ ५६५ ०६६ ܂ ७६५ अपरमतास्वरसवीजा5पिष्करणम् रूपविदीनबदवादी मतविदोष श्रदाकाशसंयोगाऽचाक्षुपत्वविचार: रूपविघटवादी के मन की समालोचना नीलरूपघटनादिकृतपरिष्कारः संयोगादि के अचाक्षुप की उपपत्ति का प्रयास अल्यासज्यवृत्त्याकाशगुणाऽचाक्षुषोपपादनम् रूपाभाव में अल्पसमंदनगोचरचापपतिवन्धकता का समर्थन चाक्षुरप्रयोजकप्रतिपादनम अण्डाकार: चाक्षुपाभाव निमप्रतिबन्धकतापिचार: समनियताभानाभेददर्शनम् त्रुदिविचान्तिविमर्शः मध्यमस्याद्वादरहस्ये खण्डः ३ उद्भूर्तकन्दस्य व्यापकता नीरूपवादी नवनिपायिक के मत सोचना सूट का समर्थन चित्ररूपप्रकाशातिदेश: सत्ताप्रतीति से नवादा मत ऋजुमतप्रकाशनम् अपावृत्ति नानारूपादिमत छेदकता रूपं समान रूपता दफनाया कारणनियम्यता बच्छेदकतया नीलादि के प्रति समवाय में नीलादि हेतुना मतविशेष tream रूपं यस्य हेतुता नापिशिष्टद्रव्य अबका रूप का हेतु नहीं है अवच्छेदकतया जन्यरूप के प्रति समवाय से पृठ Ge अम्मन ES5 २७३ 'न्ट्र 94 Siyle Tee 1100 ०८: ረ፡ १०८८५ 573 ረን '' መረ उच्चता मतविशेष मूर्तत्वेन जन्यरूपकारणतासमर्थनम् स्वापपुलिष्यमपाय से नीदाभाडेना अवयविनि अवच्छेदकतया नीलायापनिपरिहारः उपनिमितसमवाय गं रूपकारणता स्वामिव से नीलेतराविहा द्रव्यमये प्रयाजनप्रकाशनम ८६८ ५६.८ ८६५ कमिताविष्कार: 537 अच्छे पनियामकविचारः आधुनिकमतनगर: 552 नादान्यसम्बन्ध से नापलादि पतियन्धक अन्वयव्यभिचाराविष्करणम sk नेद के पति स्वस्यापकरमचाय से नील की कारणता Bold Type नयलला (संस्कृत टीका के यि के सूचक है | Normal Type रमणीगा हिन्दी व्याख्या के सूचक है ६ ८८-५ ८७ Jobb || 566 560 ८० ८०: 50 ܗ݈ ००० ८५.३ S م ماهPage Navigation
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