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॥ चून्दडी ॥ (तर्ज-मारो बालो भूखो छ प्रेम नो ए) - बहनों ओढ़ो शियलनी चन्दडीजी, ओढ्या लागे सुहावनी नार ॥ बहनो ॥टेर॥ प्रेम भक्ति नो कापडो मंगावजो रे, पछे धर्म को रंग लगाय ॥१॥ गुरू भक्ति नो गोटो लगावजो रे, पछे ज्ञान को गोकुल लगाय ॥२॥ पछे तपस्या रो फीता लगाव जो रे, दया दान का फूल जडाय ॥३॥ जम्बु स्वामीजी री आठों हो कामनिया रे, चुन्दड़ ओढ़ी है मन हुलसाय ॥४॥ वलि राम की प्यारी जानकी रे, दियो सुभद्राजी कलंक उतार ॥५॥ आदेश्वर जी रे दोनों डीकरिया रे, चुन्दड़ ओढ़ी है कर्म खपाय ॥६॥ वलि चन्दन बाला आदि सतियां हुई है, चून्दड ओढ़ी है मन हुलसाय ॥७॥ शान्तिदेवी ने हृदय में धार लो रे, मत करजो झगडा क्लेश ॥८॥ पूज्य अमोलक ऋषिजी फरमावियो रे, छोड दियो विषय कषाय ॥९॥ इति ॥
॥साद का गीत ॥ (नर्ज-डूंगर ऊपर डूंगर रायनेम, जिन पर नींबु)
समोसरण में विराजिया भगवंत, ओ जी गौतमस्वामो है पास, प्रश्न इम पूछिया भगवंत ॥१॥ गर्भ में