Book Title: Swarna Sangraha
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 202
________________ ॥ नशेबाज || (तर्ज सीता माता की गोद में हनुमत डारी) खोलो नशेबाज की पोल सभा के सामने जी ॥टेर ॥ पहले खोवे घर की लाज, कहलावे है नशेबाज । वर्णन सुन लो उनका आज, सारा बिगड़ गया है समाज नशे के कारणे जी ॥१॥ देखो लाल आँख का रंग, समझो पी ली उसने भंग, जिसके घर वाले है तंग, बिगड़ा सदाचार का ढंग नशे के कारणेजी ॥२॥ आयी ऐसी आखा-तीज, वो गई निर्धनता का बीज, अम्मल महंगी खारी चीज, पूँजी सभी गई है छीज नशे के कारणेजी ॥३॥पी कर आये खूब शराब, पड़ गये नाली बीच जनाब, कुत्ता कर गया मुँह पेशाब । समझे चरका आया ख्वाब नशे के कारणे जी ॥४॥ गाँजा चरस और कोकेन, सुलफा पी कर खोये नैन, रोते ऋण कारण दिन रेन । गाकर समझाता श्रीनाथ नशे के कारणेजी ॥५॥ ॥ बहनों को शिक्षा ॥ (तर्ज-तुम तो भले विराजोजी) बहनो बेगी चेतो ए; साची आ सीखामण ॥ बहनो ॥टेर।। मूरखता में रहनां बहना, बिगड़ गया सब कार अब तो थारी हुई जरूरत, हो जाओ तैयार ॥१॥ 197

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