Book Title: Swarna Sangraha
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 205
________________ बूढा डोकरां रा व्याव रे, लोभी मायत भरे थैलियां ॥५॥ पिऊजी मारा छोटी-छोटी छोरियाँ डुबाय रे। बूढा मरियां सुं विधवा हो रही ॥६॥ पिऊजी मारा छानेछाने गर्भ गिराय रे, भ्रूण हत्या रा पाप मोट का ॥७॥ पिऊजी मारा डुबे-डूबे जिणसं देश वे, सांच कहूँ तो शरमां मरूं ॥८॥ पिऊजी मारा देखे-देख पातरियाँ रा नाच रे, जिणसुं बिगाडो हुओ देश रो॥९॥ पिऊजी मारा फैले-फैले घणो व्यभिचार रे । रोग तो इतरा के गिनती नहीं ॥१०॥ पिऊजी मारा रोवे-रोवे नार रुलियार रे, गरमी ने सुजाक ज्यों रे हो गई ॥११॥ पिऊजी मारा फाटा-फाटा फागण रा गीत रे । भंडा घणा है लाल केशिया ॥१२॥ पिऊजी मारा बिगडेबिगडे छोटा बाल रे, सीखे लुगाईयां खोटा लंछ ने ॥१३॥ पिऊजी मारा कहतां-कहतां छाती घबराय रे, सारा दोषां री गिनती नहीं हुए ॥१४॥ पिऊजी मारा चेतोचेतो भारत डूबो जाय रे, अभे सोया सुं भूडी लागसी ॥१५॥ पिऊजी मारा खोटा-खोटा पंच करे न्याय रे, पोल उघाडो वारी पलक में ॥१६॥ पिऊजी मारा सुनो-सुनो सारा शुभ गीत रे, दस मंगादो मारा भाग ए ॥१७॥ पिऊजी मारा मिले-मिले जोधाणां रे मांय, जैन ऐतिहासिक ज्ञान भण्डार में ॥१८॥ पिऊजी 200

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