Book Title: Swarna Sangraha
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal
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जाओ श्रीनाथ फिर नया कर्ज न लो, तो पारगती हो. जाती है ॥८॥
॥ खोटी रीत निषेध ॥ (तर्ज-बुरा गीत मत गावजो यांने वरजूला) खोटी रीतां राखतां, थाने वरजूंला । जो गावोला 'शुभगीत' कदी नहीं वरनँला ॥टेर।। बेटी-बेटा बेचंता थांने वरजूंला ।
कांई जिनसू लागे लंछ ॥१॥ बूढ़ा ठाडा व्यावतां थांने वरजूंला।।
कांई जिनसू विधवा होय ॥२॥ मौसर नुक्ता जीमतां थांने वरजूंला ।
___ काई काम कूतरा जोग ॥३॥ भोजन ऐंठो नाखतां थाने वरजंला ।
___ काई होता विरथा हाण ॥४॥ पातरियां नचावतां थांने वरजूंला ।
कांई जिससू बिगडे देश ॥५॥ फाटा गीत सुनावतां थांने वरजूंला।
कांई निर्लज होवे लोग ॥६॥ भांग तमाखू पीवतां थाने वरजूंला ।
___ कांई होवे रोग अपार ॥७॥
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