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॥ धी गुल में हाथ धलाते समय गाने का गीत ॥
(तर्ज- तूं तो ओ घर ओ वर मांगे ए) ये तो सासुजी ने वेगा बुलाये ए, घृत गुल का भण्डार भोलाए ए। ये तो सुसराजी ने वेगा बुलाए । भण्डार की कुंजियां दिराए ए। पति राज ने वेगा बुलाये ए। ये तो धन रासी दिराए ए। बहने घर की बडेरी बनाए ए। कुल देवी समान मनाए ए। सासु ससुरा की सेवा कराए ए। ये तो जग माहे सुजस पाये ए।
। राती जोगा प्रारम्भ होने के पहले गाने का गीत ।।
॥ शांतिनाथ भगवान का स्तवन ।।
(तर्ज ---अगर वीर स्वामी हमें स बचाता तो भारत) में तो शांति ही शांति चाऊँ सदा.
नित्य मंगलमय गुण गाऊँ सदा ॥टर।। अचलाजी के नन्दन विश्व के प्यारे,
शान्ति दुलारे थे हिंद सितारे, जिन शान्ती ही शान्ती वरताई सदा ॥१॥
नव लक्ष जो जाप जपे तेरा कोई, सुख शान्ति रहे उस घर में सदा ही।
दुःख मारी बिमारी न आवे कदा ॥२॥
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