Book Title: Swarna Sangraha
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 187
________________ ॥ शीतला माता ॥ ॥ झुठा बहम || ( तर्ज - गोपीचन्द लड़का ले ले फकीरी तज दे राज ) टाबर ने ठारो, धाने मनाऊँ माता शीतला || टेर || धुगधुगती सिगडी माथे पर, उलवाणे पग आऊँ । ओछू रुपियो सवा रोकडो, डावा हाथ सुं खाऊजी ||१|| गेला गूंगा बावलास में, चूक्या गेले घालो । आई आफत आपरे सरे थे, किरपा करने टालोजी ॥२॥ ठंडी बासी घाट राबडी, भीख मांग ला खाऊं । खण लेऊं मांचे सूत्रण रो, झट दर्शन ने आऊँजी ॥३॥ अंधी सरदा मांय लोग यूं रोग बढाता जावे । योग्य मान नहीं करे दवाई, खता हाथ सुं खावेजी ||४|| श्री नाथ इण तरह बहम है, झूठा घर-घर चाल्या । माता है वह रक्षा कर दे, क्यूं टाबरिया बाल्याजी ॥५॥ ॥ शीतला माता का स्तवन ॥ (तर्ज--माता के दरबार चंपो बहुत फलियो मारी मांय ) दया माता के दरबार ज्ञान का फूल खुल्या मारी मांय, ये कुण जी सीखे ज्ञान, ए कुण जी धारे मारी मांय ॥ गौतम स्वामीजी सीखेजी ज्ञान, श्री संघ धारण करे मारी मांय ॥ धारयो सीखयो ज्ञान, मुगती मांय ले जावे मारी मांय ॥ 182

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