Book Title: Swarna Sangraha
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 197
________________ ओलू थारी आ रही, चित्त न पावे चैन । आँसूडा टपकारतां रे, थाका मारा नैन ॥३॥ बिजलियां चमके घणी रे, गरज रह्यो घनघोर । पिऊ परदेशां जा बस्या रे, प्यारी सुं मुख मोड ॥४॥ ताल तलैया भर गया रे, बोले दादुर मोर । पपैया प्यू-प्यू करे रे, नेक न भावे शोर ॥५॥ खोटा खरचा कारणे रे, बैठो बिछवा आप । किरियावर किम काम का रे, धान मिले अठे धाप ॥६॥ फैशन खरचो पूरवां रे, छोड़ चलया घर नार, फैशन ऊपर बिजली रे, क्यों न पड़े करतार ॥७॥ अंग्रेजी में धार लो रे, अंग्रेजी तज साज । कल पाओ घर आवता रे, कलपाओ मत राज ॥८॥ गाती जाती वाट में, बालम मिलिया आय । सोना रा सूरज ऊगियो रे, धीरज मन हरषाव ॥९॥ ॥ पत्नी का पति से कहना ॥ (तर्ज- सरीता कहाँ भूल आए प्यारे ननदया) अपने दिल री बातां पियाजी सुं पूछ रही, साचीसाची बातां पियाजी सुं पूछ रही ।।टेर। साची बात सुनाऊं साहब जो थे हुकम दिरावो। भूल चूक हो जावे स्वामी खामी माफ करावो ॥१॥ में तो बालो 192

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