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में प्रवीण भो० ॥१५॥ मैं भोली समझी नहीं मा० बा०, मैं जाऊं देखा देखा भो० ॥१६। दमडी गोबर करणे मा० बा०, नहीं खोसू नंगी टेम भो० ॥१७॥ घर में चरखो काता मा० बा०, गाने 'धीरज' सँ गीत भो० ॥१८॥
॥ श्रावण के तीज ।। । पति-पत्नि का संवाद ।।
(तर्ज-हंस-हंस पूछू बात ढोला ) में थाने पूछों बात ढोला क्यूं तो थे मुलकाया हो माने देखने हो राज । कांई थे पूछो बात मरवण, रीत न मानो तो कहदं साची बातने हो नार ॥टेर॥ बेगा वतावो बात बाला धीरज तो आ जाय ओमारा जीवने हो राज ॥१॥ पेरण झीणा कापडा गोरी, देख हंसे संसार ओ थारा डीलने हो नार ॥ कांई ॥२॥ खादी मंगादो आप ढोला, तो तज देऊ झीणा निर्लज देशने हो राज ॥ में ॥३॥ हाथ में हाथी हाड गौरी, डील दुखावण थारो है चूडो सूगलो हे नार ॥काई॥४॥ हलको करदूं हाथ ढोला, लाख टकारी लादो चमकती चूडियां हो राज ॥ में ॥५॥ गणो गधारो भार गौरी, हाथ हथकडी ने बेडी पग में मैल है ओ नार । कांई
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