Book Title: Swarna Sangraha
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 186
________________ टाबर गावे देश डुबावे, संस्कार खोटा होवे ॥३॥ असर पडे कानून रो कमती, पिण गीतां रो तो ज्यादा ॥४॥ दुरगुण इणसुं छांने उपजे, लारां सुं चवडे आवे ॥५॥ व्यभिचार री चाह बढावे, छोडो थे बद । गीतां ने मत गावो रे गीत फाटा कोई ॥६॥ ब्रह्मचर्य रो नियम टूटे, जिणसुं , बल बुद्धि खूटे ॥७॥ चौखा गीत बनाओ गाओ, खोटा ने मत अपनावो ॥८॥ शुभ गीतां सु होय सुधारो, बद गीतां रो उठाओ धारो ॥९॥ मिस मेयो यूं दाग लगावे, भारत में फाटा गावे ॥१०॥ शुभ गायन श्रीनाथ सुनोओ, जो थे सुख साचो चाहो ॥११॥ 181

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