Book Title: Swarna Sangraha
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal

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Page 188
________________ ॥ आदर्श शीतला माता ॥ (तर्ज-थे मारी सेडल माता सेरां नगरा जोगा तो) थे मारी दया माता तीन लोक पूजिजो तो, छः काया री रक्षा मैं नित करां ए मांय ॥१॥ थे मारी दया माता झूठ नहीं बोलो तो, सत्य वचन सुखकारीया ए माय ॥२॥ थे सारी दया माता चोरी नहीं करे तो, पर धन तो थे पर हरयो ए मांय ॥३॥ थे मारी दया माता ब्रह्मचर्य पालो तो, उत्तम तप हो कह्यो ए मांय ॥४॥ थे मारी दया माता परिग्रह नहीं राखो तो, ममता मोह निवारियो ए मांय ॥५॥ थे मारी दया माता रात्री भोजन नहीं करो तो, लेप मात्र नहीं राखती ए मांय ॥६॥ .... आ तो है जिन मारग री आ माता तो, इनने सेवयां सुख उपजे ए मांय ॥७॥ दया माता बालक ने नहीं मारे तो, रक्षा करे सारा देश की ए मांय ॥८॥ माता होय बालक ने मारे तो, वो माता नहीं कहलावती ए मांय ॥९॥ 183

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