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कन्या विक्रय जहां पर होवे गुणवंताजी,
जीमे न जावे द्वार वारूँजी ॥६॥ बूढा रे तो ब्याव में गुणवंताजी,
___ करे घणो प्रतिवाद वारूँजी ॥७॥ फाटा गीत नहीं सांभले गुणवंताजी,
. न देवे दूजा ने गाल वारूँजी ॥८॥ ज्ञान हुन्नर को घरे-घरे गुणवंताजी
ये तो करे घणो प्रचार वारूँजी ॥९॥ बाईजी मारा समझना गुणवंताजी,
वे थांरो बँटावे हाथ वारूँजी ॥१०॥ आनन्द सुं स्वागत करूं गुणवन्ताजी
मैं गाऊँ गीत रसाल वारुंजी ॥११॥ पुरसणवाली पदमणी गुणवंताजी,
थे जीमो राजकुमार वारूँजी ॥१२॥ साली सहेलियाँ सामने गुणवंताजी,
. ऊभा करे अरदास वारूँजी ॥१३॥ दिन दस रहजो पावणा नणदोईजी,
फेर आजो बारम्बार वारूँजी ॥१४॥ 'श्रीनाथ' शुभगीत ने गुणवंताजी,
सुणजो श्रीफल बेचाय ॥१५॥
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