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॥ रातरा गाने का गीत ॥
॥ जमाईजी रा बखान ॥
(तर्ज-श्री पाल की ।)
आवो जमाई पांवणां गुणवंताजी,
हम घर करो पवित्र हो जयवंताजी ॥टेर। घणां दिनां से आविया जमाईजी,
कब की मैं जोऊँ वाट हो नणदोईजी ॥१॥ पहरण काठा कापडा जमाईजी,
. कांई केसर तिलक लिलाट होनणदोईजी।२। चाल चंप गज गामिणी जमाईजी,
कांई मधुरी वाणी रसाल हो नणदोइजी।३॥ पढिया गुणिया नसिधा जमाईजी,
कांई धरम करम बड वीर हो नणदोईजी।४। मारा बाईजी लाडला जमाईजी,
पतिव्रत धर्म प्रतिपाल हो नणदोईजी ॥५॥ आप पत्निवत पालजो जमाईजी,
कांई बढ़सी चौगुणी प्रीत हो नणदोईजी।६।। हलका शब्द मत बोलजो जमाईजी,
कांई रूठों ने लीजो मनाय हो नणदोईजी।७।
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