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॥ रातरा गाने का गीत ।।
॥ जमाईजी रा गुण ॥
(तर्ज-हरियाडे जीरो नोपजे ।) जमाईजी भले ही पधारिया मारा फलिया हो मनोरथ आज टेर।। सामी मेलं करूँ आरती कांई बधाऊँ हो फुलडो रे हार ॥ जमाईजी भले ही पधारिया मारा फलिया हो मनोरथ आज ॥१॥ रांधू लचपची लापसी कांई जीमाऊँ हो घणी मनुहार ॥२॥ न्याय नीति कर शोभता मीठी वाणी हो पाले सदाचार ॥३॥ फैशन रो खरचो नहीं नशो हो नहीं खोटी रौल ॥४॥ धर्भ नेम पाले सदा भल पाले हो माइतारी आण ॥५॥ गुण-गरवा धीरा घणा देशी पहरे ओ चाले सादी चाल ॥६॥ रातरा भोजन नहीं करे नहीं नाखे हो ऐंठो मूंगो माल ॥७॥ बासी ये भोजन नहीं करे, भक्षाभक्ष हो जाणे गुणवान ॥८॥ पत्निवत धर्म पालता सोरो राखे हो सब परिवार ॥९॥ आगत स्वागत आपरो करसां हो मन हरख अपार ॥१०॥ शुभगीत नित गाबसा लाड़ कोंड हो करसां मनुहार ॥११॥ श्रीनाथ सुणसी सदा चोका लागे जमायां रा गीत ॥१२॥
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