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दिन दस रहजो पविणां जमाईजी,
कांई आइजो बारम्बार हो नणदोईजी ॥८॥ 'शुभगीत भल गावजो जमाईजी,
कांई 'श्रीनाथ' सुख पाय हो नणदोईजी ॥९॥
॥ रातारा गाने का गीत जमाई का गीत ॥
(तर्ज-पनीहारी ए लो) आया जमाई पांवणां गुणवंताजी,
करूँ घणी मनुहार वारुंजी ॥ शूरवीर धीरज घणी गुणवंताजी,
___राजकँवर अनुहार वारूँजी ॥टेर। शुभ लक्षण कर शोभता गुणवंताजी,
सागर सम गंभीर वारुंजी ॥१॥ . खानदान उच्च आपरो गुणवंता जी,
पालो कुल आचार वारूँजी ॥२॥ रात्रि भोजन नहीं करे गुणवंताजी,
भक्ष अभक्ष विचार वारूँजी ॥३॥ बासी बिदल जीमे नहीं गुणवंताजी।
ऐंठो न नाखे लगार वारूँजी ॥४॥ मौसर में जीमे नहीं गुणवंताजी,
और न जिमावे आप वारूँजी ॥५॥
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