Book Title: Swarna Sangraha
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal
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॥ रात के समय गाने का गीत ॥
॥ मारा राजकँवर नणदोईसा ॥ (तर्ज-मारा सूरज किरण नणदोईसा थे फाग खेलवा आईजोसा)
मारा राजकँवर नणदोईसा सासरिय वेगा आईजोसा ॥टेर। सासरिये वेगा आइजो-शुभ गीतां री पोथियां लाइजो ॥ मारा राज कँवर ॥१॥ सिर पंचरंग पेचो सोहे-मारो निरख-निरख मन मोहे ॥ मारा राजकवर ॥२। थारे तिलक लिलाडे भलके-मूंडो सूरज ज्यूं चिलके ॥ मारा ॥३॥ फैशन रो खरचो छोडियो-थे प्रेम देश सुं जोड्यो । मारा ॥४।। नहीं नशा पता सुं राजी, थारी महिमा घर-घर गाजी ॥५॥ थारी चाल चूंप गजवाली, है वाणी मधुर रसाली मारा राजकँवर ।। ॥६॥ नही करो मसकरी खोटी, कुल रीत आपरी मोटी ॥ राजकबर १७॥ ये मगद चूरमो खाजा, थे जीमो ताजा-ताजा ॥ मारा राज कंवर ॥८॥ थे धर्म करण में शरा, पत्नि व्रता पालक पूरा ॥ मारा ॥९॥ क्यूं आप एकला आया, नहीं वेवायों ने लाया ॥ मारा राजकवर ॥१०॥ करूं आगत स्वागत थांरी, आ अरजी सुनजो मारी ॥११॥ मारा राजकवर ॥ है कोर कालजा केरी, मारा बाईसा थांरी चेरी ॥१२॥
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