Book Title: Swarna Sangraha
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Pannalal Jamnalal Ramlal
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बधावो राज 'धोराज' रो आयो, आयो-आयो ज्ञान भंडार श्रीनाथ राज गावो बधावो ॥५॥
होली का गीत ।
(राग-फाग) ऐसा खेलजो रे फाग सदा सुख पाओ ।।टेरा धरम का बाग खुली, रामकित को सरदा, विरती कोयल नाद करो भविका ॥१॥ कुमति होलीका ने दीजो मंगलाय ने, कर्मा की धूल उड़ावो भविका ।।२।। समता सरोवर, स्नान करो सुगणा, पाप को मैल पखालो भविका ॥३॥ धीरज को धोतियो थे, पेरो घणा प्रेस सं । जयणा को जामो पेरो भविका ॥४॥ परमार्थ को पागडी, उपयोग रो उपर नो, शील को सिर पेच थे बांधो भविका ॥५॥ क्षमा रूपी छोगो मेलो, धाटो बांधो सांच को । तप रूपी तुरों झुकावो भविका ॥६॥ करुणा का कुण्डल चोकसी का चौकडा, भक्ति की भमर कडी पेरो भविका ॥७॥ दसविध धरम को, हार हिये पेरजो। दान-मान कडा हाथ पेरो भविका ॥८॥ वैयावच्य बीटी दस, अंगुली में पेरजो, क्रिया के कन्दोरो थे पेरो भविका ॥९॥ भावरूपी मांग
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