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॥ दिन रा भोजन करते वक्त गाना ।।
॥ जमाई का गीत ॥ (तर्ज --आनन्द का ढंका आलम में बजवा दिया)
आओ सखियां मंगल गावां, घर आज जमाई आया है, शुभ गीतों रा रसिया बनने, संग साथिडो ने लाया है ॥टेर॥ हीरा भी हलका याँ सामी, मोती भी हलका यां सामी । सोना, रूपा, सुं भी नामी, घर आज जमाई आया है ॥१॥ चांदा ज्यं निर्मल चलके है, सूरज ज्यूं ज्योति भलके है। आमें ज्युं विजली भलके है, घर आज जमाई आया है ॥२॥ लाडू सुं अधिका बाला हो, मीठा अमृत रा प्याला हो । मारे हिवडे री माला हो, घर आज जमाई आया है ॥३॥ कोमलता कमलों सी प्यारी, चंचलता तितली से न्यारी। मीठास रा पूरा अधिकारी, घर आज जमाई आया है ॥४॥ बल विद्या धन का धारी हो, जग सा भारी उपकारी हो । 'धीरज' श्री रा व्यापारी हो घर आज जमाई आया है ॥५॥
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