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|| बिदाई का गीत ॥ (तर्ज-जाओ-जाओ ए मेरे साधु )
जाओ जाओ ए प्यारी बेटी, रहो खुशी के साथ ॥टेर।।
चौदह वर्षों घर आंगण में, खेली धम मचाई। आज लाडली एक पलक में, तू हो गई पराई ॥१॥ सभी तरह की सही मुसीबत, पाली और पढ़ाई। दूर हृदय से होती है तू आज हृदय को जायी ॥२॥ लड़ी रूठली जिद्द भी करली, यहां तो खट गई मैना। वह है देश विराना, वहाँ पर चतुराई से रहना ॥३॥ आज बिदा करने में तुझको, हृदय फटा जाता है । मत रोओ हे मेरी बेटी, जग का ऐसा ही नाता ॥४॥ भोली सूरत मीठी बातें, याद करी रो लँगी। मुन्नी बिटिया राजा कहकर, अब किससे बोलूँगी ।।५।। सास ससुर और पतिदेव की, सेवा खूब बजाना। ननंद देवरानी जेठानी से, झगड़ा नहीं मचाना ॥६॥
गृहचन्द्रिका, गृहलक्ष्मी, बन प्रकाश फैलाना । केवलमुनि धर्म जिनवर को, भूल कभी न जाना ॥७॥
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