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मोलियो रे लाल, ए तो ब्यानजी रे कसुम्बल वीर ओ लाल, थे तो माला ओ फेरो नवकार की रे लाल ॥११॥ रत्न सरीखी कन्या देवसां रे लाल, थाने देसां घणा धन माल ओ लाल, थे तो माला ओ फेरो नवकार को रे लाल ॥१२।। मारी कन्या ने सोरी राखजो रे लाल, थे तो मती करजो झगडो कलेश ओ लाल, थे तो माला ओ फेरो नवकार की रे लाल ॥१३॥ थाने खादी रो वेश देवशां रे लाल, थाने देसां गायां रा गोकुल ओ लाल, थे तो माला ओ फेरो नवकार की रे लाल ॥१४॥ ए तो परणन कॅवर घर आवीया रे लाल, आ तो कुलवती बहु सुजान ओ लाल, थे तो माला ओ फेरो नवकार की रे लाल ॥१५॥ ए तो कुल रो वंश बढ़ावसी रे लाल, ए तो शील वंती सुखमाल ओ लाल थे तो माला ओ फेरो नवकार की रे लाल ।।१६।। आ तो विनय करीने मीठा बोलसी रे लाल, आ तो सेवा करसी सब जान ओ लाल, थे तो माला ओ फेरो नवकार की रे लाल ॥१७॥ आ तो सामायिक पडिक्कमणो नित करसी रे लाल, वाने कभी मत दीजो अन्तराय ओ लाल, थे तो माला ओ फेरो नवकार की रे लाल ॥१८॥ वे तो दान देसी नित्य हाथ रे लाल, जठे होवेला जय-जयकार ओ लाल, थे तो माला ओ फेरो नवकार की रे लाल ॥१९॥