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|| वेवायां ने सीखामण ||
(तर्ज- थांरी-थांरी हो वेवायां नार-दूध दही बेचन ने चाली, जेलूं बेच न जाणे गँवार फिर गई सगारी गली । ) थरीथांरी ओ वेवायों नार सीख साची पूछन ने चाली। पूछे- पूछे हो मन धरी कोड रीत कांई कुलरीभली ।।टेर।। थांरो-थांरी हो कुल मरजाद बताय देऊ बात मैं खरी । सुणो-सुणो हो ध्यान लगाय, होवेला थांरे मन में रली ॥१॥ थांरो थांरो हो देश विख्यात छाप जिनरी मुल्कों में पड़ी, थांरी थांरी हो उत्तम जात - एकताई न्यात में बडी ॥२॥ मोटो मोटो हो घर में संप रोंझ रही लिछमी घणी । सोरो-सोरो हो सारो परिवार - रीत भांत उत्तम बणी ॥ ३॥ मारा वेाईसा चतुरसुजान, न्याय बैठा हाटां में करे । पूछे- पूछे हो सिखामण लोग - पाशों वारो राज में परे ||४|| करे करे हो न्याति में सुधार खोटी रीतां ने दूर करे । जाति न्याति में हो मोटा पंच खंच नहीं खोटी करे ॥५॥ रीति नीति हो विणज व्यापार परदेशां में प्रख्यात घणो खर्चे खर्चे हो धरम रे काम लेवो लावो लक्षमी तणो ॥ ६ ॥ खावे खावे न मौसर माल व्याव अनमेल न करे । मांगे मांगे न डोरो आप कन्या बेच थैली न भरे ||७|| ऐडी-ऐडी धीरज कुल रीत हियो मारे देखने ठरे । नहीं गावे हो फाटा गीत शुभगीतां सुं प्यार है घरे ॥८॥
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