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माने गावण रो है घणो कोड, वेवायां सुणो मा ।।२।। धीरा गरवा हो गणवन्ता आप, वेवायां सुणो सा ।। घणा गुणी हो शूरा कुलवान, वेवायां सुणो सा ॥४॥ रात्रि भोजन हो नही करो लगार, वेवायां सुणो सा ।।५।। भक्षाभक्ष रो हो राखो विचार, वेवायां मुणो सा ॥६॥ थारे कुल री आ हो मोटी रीत, वेवायां सुणो सा ।।७।। नहीं खावो हो मोसर रो माल, वेवायां सुणो मा ।।८।। बेटी बेचण री नहीं थारे रीत, बेवायां सुणो सा ।।९।। डोरो मांगण री भी नहीं है रीत, वेवायां सुणो सा ॥१०॥ करो टाबर रो नहीं वेगो ब्याव, वेवायां सुनो सा ॥११॥ बूढा-ठाडा रो, नहीं चावो व्याव, वेवायां सुनो सा ॥१२।। थारे घर में हो गावे शुभगीत, वेवायां सुनो सा ॥१३॥ विद्या पढ़ने में पूरा प्रवीण, वेवायां सुनो सा ॥१४॥ मुलकों-मुलकों में हो, विणज व्यापार, वेबायां सुनोसा।१५। स्वागत करसां हो, गा गीत रसाल, वेवायां सुनो सा ।१६।। मारे आइजो हो, थे बारम्बार, वेवायां सुनो सा ।।१७।। मारे बाईसा ने हो लीजो निभाय, वेवायां सुनो सा ॥१८॥ गावे हरषे हो सुणे श्रीनाथ, वेवायां सुनो सा ॥१९॥
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