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पांच पचास, मोरां तो डाली डेढ़ सौ जी ।। बाई देसां ए सहस्र पचास, जामन री जायो बेनडी जी ॥ बाई मिलसी ए माने सब परिवार, जामन-जायी न मिलेजी॥ वीरा आंसू वीरा आंसू ओ भतीजा-भतीजी रे व्याव, मैं तो हरष-हरष करसुं आरतीजी॥ बहन भाई, बहन भाई राखजो प्रेम, दुनियां में ओ सुजस लेवजोजी ॥
।। माया स्थापने का गीत ।। तर्ज --बैठो माया, बैठो माया ये गुल धान्या) माया तो भाता री प्रीति कहलावे, बना-बनी रो जीवन सफल बनावे ॥ बना-बनी रो जीवन उत्तम बनावे ॥१॥ पिताजी तो माया री जुगत बतावे, माता जी तो लुल-लुल पाय जो लागे ॥२॥ आठ प्रवचन दया माता र जानो, दया धर्म सुं जीव सुख पावे ॥३॥ बना-बनी दया माता रे चरणे शीश नमावे, गुण तो गावे न आनन्द पावे ॥४॥ धत धारा ज्यं धैर्यवंत होइजो, ने धर्म दिपायजो ॥५॥
॥ विरथाल का गीत ।। (तर्ज-बो माया उठो माया ये गुल धान्यां)
चार बायां मिल थाल परोसे, बना-बनी ने भोजन करावे, विरथाल नाम जगमें कहलावे ॥१॥ ऐंटों मती
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